भारत ने टैरिफ के मुद्दे पर अमेरिका को स्पष्ट संदेश दिया है। जिससे पता चलता है कि भारत अमेरिका के गलत फैसलों को चुपचाप स्वीकार नहीं करेगा। भारत ने इस्पात और एल्युमीनियम पर टैरिफ के संबंध में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से संपर्क किया है। भारत ने इस मुद्दे पर विश्व व्यापार संगठन के सुरक्षा समझौते के तहत अमेरिका से परामर्श मांगा है।
टैरिफ कितना है?
WETO ने कहा है कि भारत ने अमेरिका के साथ परामर्श के लिए अनुरोध प्रस्तुत किया है। तथ्य यह है कि अमेरिका ने 8 मार्च, 2018 को स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर क्रमशः 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत टैरिफ लगाकर सुरक्षा उपाय लागू किए थे। यह व्यवस्था 23 मार्च 2018 को लागू हुई और इस वर्ष 10 फरवरी को अमेरिका ने इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों के आयात पर अपने सुरक्षा उपायों में बदलाव किया। नए उपाय 12 मार्च 2025 से प्रभावी हो गए हैं।
भारत का तर्क
है कि अमेरिका इन सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए WTO सुरक्षा समिति को सूचित करने में विफल रहा है। इस निर्णय से प्रभावित सदस्य के रूप में भारत ने इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ परामर्श बैठक का अनुरोध किया है। भारत का कहना है कि उसे इस अपील पर अमेरिका से शीघ्र प्रतिक्रिया मिलने तथा परामर्श के लिए सुविधाजनक तिथि और स्थान निर्धारित होने की आशा है। हालाँकि, ये परामर्श WTO की विवाद निपटान प्रणाली के अंतर्गत नहीं आते हैं।
चीन भी विश्व व्यापार संगठन में पहुंच गया।
चीन ने हाल ही में कहा कि उसने अमेरिका की मनमानी टैरिफ नीति के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में शिकायत दर्ज कराई है। चीन ने विश्व से इस मुद्दे पर एकजुट होने का आह्वान किया है। अब जबकि भारत भी टैरिफ को लेकर WTO पहुंच गया है तो यह अमेरिका के लिए बड़ा संदेश कहा जा सकता है। भले ही चीन और भारत के दृष्टिकोण अलग-अलग हों, लेकिन इससे अमेरिका को यह संकेत मिल गया है कि भारत उसके गलत फैसलों को भी चुनौती दे सकता है।
गोयल का कड़ा संदेश:
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के हालिया बयान को भी अमेरिका के लिए कड़ा संदेश माना जा रहा है। इटली-भारत व्यापार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम में बोलते हुए गोयल ने कहा कि भारत कभी भी बंदूक की नोक पर बातचीत नहीं करेगा और न ही अपने लोगों के हित में किसी मुद्दे पर जल्दबाजी में कोई निर्णय लेगा। उन्होंने कहा कि हम हमेशा भारत को सर्वप्रथम रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी सौदा इसी भावना को ध्यान में रखकर अंतिम रूप दिया जाए। हम कभी भी बंदूक की नोक पर बात नहीं करते।
गोयल के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत किसी दबाव में नहीं आएगा
और न ही जल्दबाजी में कोई कदम उठाएगा। भारत अमेरिका का एक प्रमुख व्यापार साझेदार है। वह पहले से ही एशिया में चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध लड़ रहा है। ऐसे में वह किसी भी कीमत पर भारत से टकराव नहीं चाहेगा। विश्व व्यापार संगठन में भारत का प्रवेश और गोयल का बयान, कुछ हद तक अमेरिका पर दबाव डाल सकता है। इससे डोनाल्ड ट्रम्प को भी संकेत मिल गया है कि भारत जवाबी कार्रवाई कर सकता है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि ट्रम्प पहले से ही चीन के साथ व्यापार युद्ध को लेकर आलोचना का सामना कर रहे हैं।