
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियां उनके अदम्य साहस को सदैव याद रखेंगी। यह सचमुच हमारे देश के इतिहास का एक काला अध्याय था। उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया।
अमित शाह ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की
जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक काला अध्याय है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। अमानवीयता की पराकाष्ठा पर पहुंची ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता से देशवासियों में उपजे आक्रोश ने स्वतंत्रता आंदोलन को जनसंघर्ष में बदल दिया। मैं जलियाँवाला बाग में अपनी जान गंवाने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। देश अमर शहीदों को सदैव अपनी स्मृतियों में संजोकर रखेगा।
यह देश कभी नहीं भूलेगा – राहुल गांधी
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि मैं जलियांवाला बाग हत्याकांड में अपनी जान गंवाने वाले वीर शहीदों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। यह नरसंहार एक तानाशाही शासन की क्रूरता का प्रतीक है, जिसे यह देश कभी नहीं भूलेगा। इस अन्याय और अत्याचार के खिलाफ हमारे वीर शहीदों का बलिदान आने वाली पीढ़ियों को अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा।
गोलीबारी 10 मिनट तक चली।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक बहुत ही क्रूर और दुखद घटना है। यह घटना 13 अप्रैल 1919 को वैसाखी के दिन अमृतसर के जलियाँवाला बाग में घटी थी, जब ब्रिटिश जनरल डायर ने वहां मौजूद हजारों निहत्थे और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर बिना किसी चेतावनी के गोलियां चला दीं। यह बैठक रॉलेट एक्ट के विरोध में आयोजित की जा रही थी, जिसके तहत लोगों को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजा जा सकता था। गोलीबारी लगभग दस मिनट तक जारी रही, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए। यद्यपि ब्रिटिश सरकार ने स्वीकार किया कि 379 लोग मारे गये थे, परन्तु वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक थी। इस नरसंहार ने पूरे देश को झकझोर दिया और स्वतंत्रता की लड़ाई को और तेज कर दिया। जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारतीय लोगों के आत्मविश्वास, बलिदान और स्वतंत्रता के लिए अटूट संकल्प का प्रतीक बन गया।