हनुमान जयंती 2025: कब और क्यों मनाते हैं पवनपुत्र का जन्मोत्सव दो बार

हनुमान जयंती 2025: कब और क्यों मनाते हैं पवनपुत्र का जन्मोत्सव दो बार
हनुमान जयंती 2025: कब और क्यों मनाते हैं पवनपुत्र का जन्मोत्सव दो बार

हनुमान जयंती, पवनपुत्र हनुमान के जन्म की स्मृति में मनाया जाने वाला पर्व है, जो चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जयंती वर्ष में एक नहीं बल्कि दो बार मनाई जाती है? यह परंपरा केवल एक धार्मिक उत्सव भर नहीं, बल्कि गहराई से जुड़ी मान्यताओं और कथाओं से प्रेरित है।

हनुमान जयंती या हनुमान जन्मोत्सव?

भले ही आमतौर पर इस पर्व को “हनुमान जयंती” कहा जाता है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से सही शब्द “हनुमान जन्मोत्सव” है। ऐसा इसलिए क्योंकि “जयंती” शब्द उन लोगों के लिए प्रयोग होता है जिनका जन्म और मृत्यु दोनों हुई हो। चूंकि हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त है और वे आज भी धरती पर सक्रिय माने जाते हैं, इसलिए उनके जन्मदिवस को “जन्मोत्सव” कहा जाना अधिक उपयुक्त माना जाता है।

दो बार क्यों मनाया जाता है हनुमान जन्मोत्सव?

हनुमान जी का जन्मोत्सव मुख्य रूप से दो अवसरों पर मनाया जाता है:

  1. चैत्र मास की पूर्णिमा – यह तिथि हनुमान जी के पुनर्जन्म या जीवनदान से जुड़ी हुई है।

  2. कार्तिक मास की पूर्णिमा – इसे विजय अभिनंदन महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

इसके अतिरिक्त, देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तिथियों पर भी हनुमान जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है:

  • केरल और तमिलनाडु में – मार्गशीर्ष अमावस्या को

  • ओडिशा में – वैशाख माह के पहले दिन

पौराणिक कथा: जब हनुमान जी ने सूर्य को फल समझा

कहा जाता है कि हनुमान जी बचपन से ही अत्यंत शक्तिशाली थे। एक बार उन्होंने आकाश में चमकते सूर्य को फल समझकर निगलने की कोशिश की। तब देवराज इंद्र ने उन्हें रोकने के लिए वज्र से प्रहार किया, जिससे वे मूर्छित हो गए। यह देखकर उनके पिता पवनदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने वायुप्रवाह रोक दिया। इससे संपूर्ण ब्रह्मांड संकट में आ गया।

देवताओं की प्रार्थना पर ब्रह्मा जी ने हनुमान जी को जीवनदान दिया। इसी दिन को, यानी चैत्र पूर्णिमा को, हनुमान जी के पुनर्जन्म या दूसरे जीवन के रूप में भी मनाया जाता है, इसलिए यह तिथि विशेष मानी जाती है।

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