हनुमान जयंती के 57 साल बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग, इन उपायों से घर में आएगी सुख-समृद्धि

हिंदू धर्म में हर तिथि और दिन का धार्मिक महत्व है। हनुमान जयंती हर साल चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान हनुमान का जन्म माता अंजनी और वानर राज केसरी के घर हुआ था। इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जयंती के अवसर पर देश भर के हनुमान मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। विभिन्न स्थानों पर भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन मारुति नन्दन की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस वर्ष यह त्यौहार और भी खास होगा, क्योंकि कई वर्षों के बाद यह त्यौहार शुभ अवसर पर मनाया जाएगा।

हनुमान जयंती कब मनाई जाएगी?

वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल, शनिवार को प्रातः 3.20 बजे से प्रारम्भ होकर 13 अप्रैल, रविवार को प्रातः 5.52 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर हनुमान जयंती 12 अप्रैल, शनिवार को मनाई जाएगी।

 

57 वर्षों के बाद धूमधाम से मनाई जाएगी हनुमान जयंती

पंचांग के अनुसार हनुमानजी का प्राकट्योत्सव 57 साल बाद पंचग्रही योग में मनाया जाएगा। ऐसा संयोग इससे पहले 1968 में बना था। इस समय मीन राशि में हस्त नक्षत्र में पंचग्रही योग बन रहा है। मीन राशि का स्वामी बृहस्पति है। बृहस्पति और शुक्र वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं। शुक्र मीन राशि में है। इस विशेष योग में सूर्य, शनि और राहु की त्रिक राशि के साथ शुक्र और बुध की युति होती है। धार्मिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिए यह स्थिति बहुत शुभ मानी जाती है।

हनुमान जयंती पर करें ये उपाय

इस दिन कई लोग भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के प्रयास करते हैं। लेकिन इस दिन यदि कोई हनुमान चालीसा, हनुमान स्तोत्र, हनुमान वडवानल स्तोत्र, हनुमान सत्यिका, पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ करता है तो हनुमानजी महाराज बहुत प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को उसके जीवन में पारिवारिक सुख, शांति, स्वास्थ्य, सुरक्षा और दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं।

 

केला बजरंगबली का पसंदीदा फल है और इसे हमेशा उनके प्रसाद में शामिल किया जाता है। हनुमान जयंती के दिन 11 केले लें और उनमें एक लौंग डालें। इसके बाद ये फल हनुमानजी को समर्पित करें और फिर बच्चों को प्रसाद के रूप में बांट दें। ऐसा करने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं।