
आईपीएल 2025 में चेन्नई सुपर किंग्स को पंजाब किंग्स के खिलाफ मिली हार के बाद टीम के मुख्य कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने टीम के प्रदर्शन पर खुलकर बात की। फ्लेमिंग ने इस मुकाबले में खराब फील्डिंग को हार का सबसे बड़ा कारण बताया और साथ ही प्रियांश आर्य की शतकीय पारी की जमकर तारीफ भी की।
हार के बाद फ्लेमिंग का बयान
मैच के बाद मीडिया से बातचीत में स्टीफन फ्लेमिंग ने कहा,”अब तक यह सीजन हमारे लिए निराशाजनक रहा है।”
उन्होंने बताया कि टीम की कैचिंग लगातार कमजोर रही है। पंजाब किंग्स के खिलाफ भी चेन्नई सुपर किंग्स ने तीन कैच छोड़े, जबकि अब तक टीम कुल 11 कैच टपका चुकी है।
फ्लेमिंग ने कहा,”दोनों टीमों की फील्डिंग कमजोर रही, शायद लाइट्स की वजह से दिक्कत थी, लेकिन यह कोई बहाना नहीं हो सकता। फील्डिंग हमारे लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।”
बल्लेबाजी में दिखा सुधार
हालांकि इस मैच में चेन्नई सुपर किंग्स की बल्लेबाजी पहले के मुकाबलों से बेहतर रही। डेवोन कॉनवे और रचिन रविंद्र ने ओपनिंग में 69 रन जोड़े, जबकि कॉनवे और शिवम दुबे ने तीसरे विकेट के लिए 89 रन की साझेदारी की।
इस पर फ्लेमिंग ने कहा,”सकारात्मक बात यह है कि टॉप ऑर्डर ने अच्छा खेल दिखाया, जो अब तक हमारी सबसे बड़ी कमजोरी रही है।”
उन्होंने माना कि मिडिल ओवर्स में रनरेट बनाए रखने में टीम चूक गई, जिससे आखिरी ओवरों में दबाव बढ़ गया।”हम पहले के मुकाबलों में जल्दी मैच से बाहर हो जाते थे, लेकिन इस बार हमने मुकाबले को अंत तक खींचा, यह हमारे लिए एक सकारात्मक संकेत है।”हालांकि उन्होंने दोहराया कि मैच हम फील्डिंग के कारण हार गए।
प्रियांश आर्य की पारी की तारीफ
स्टीफन फ्लेमिंग ने पंजाब किंग्स के युवा बल्लेबाज प्रियांश आर्य की शानदार शतकीय पारी की सराहना करते हुए कहा,”उसका दिन था। उसने पहली गेंद से ही आत्मविश्वास से भरा खेल दिखाया। पहली ही गेंद पर आउट होकर अगली बार आकर ऐसी पारी खेलना वाकई साहसिक है।”
प्रियांश आर्य ने 42 गेंदों पर 103 रन की जबरदस्त पारी खेली और टीम को मजबूत स्कोर तक पहुंचाया, जबकि दूसरे छोर से लगातार विकेट गिरते रहे।
शशांक सिंह का बयान
पंजाब के बल्लेबाज शशांक सिंह, जिन्होंने 36 गेंदों पर 52 रन बनाए, ने प्रियांश जैसे खिलाड़ियों को प्लेटफॉर्म देने के लिए राज्य स्तरीय टी20 लीग्स की अहमियत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा,”इन्हीं लीग्स से प्रियांश आर्य और दिग्वेश राठी जैसे खिलाड़ी सामने आ रहे हैं। दूधिया रोशनी में कूकाबुरा गेंद से खेलना और दबाव में प्रदर्शन करना इन्हीं टूर्नामेंट्स से सीखा जाता है।”
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