सोने-चांदी की कीमतों में उबाल: जानिए आज के ताजा भाव, शहरवार रेट और दाम बढ़ने के पीछे के कारण

सोने-चांदी की कीमतों में उबाल: जानिए आज के ताजा भाव, शहरवार रेट और दाम बढ़ने के पीछे के कारण
सोने-चांदी की कीमतों में उबाल: जानिए आज के ताजा भाव, शहरवार रेट और दाम बढ़ने के पीछे के कारण

सोने-चांदी की कीमतें एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई हैं। खासतौर पर तब जब सोना ₹93,300 के पार पहुंच गया हो। यह स्थिति आम उपभोक्ताओं से लेकर निवेशकों तक, हर किसी के लिए खास संदेश लेकर आती है—बाजार में तेजी कायम है। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को 24 कैरेट सोना ₹90,161 से छलांग लगाकर ₹93,353 प्रति 10 ग्राम तक जा पहुंचा। वहीं, चांदी भी ₹90,669 से बढ़कर ₹92,929 प्रति किलो हो गई।

अब आप सोच रहे होंगे कि इतनी तेजी क्यों आई? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं—जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजार की हलचलें, डॉलर और रुपये की विनिमय दर, आयात शुल्क, या फिर घरेलू मांग में अचानक उछाल। इसके अलावा, इन दिनों बाजार में अवकाश (जैसे शनिवार, रविवार और बाबा साहेब अंबेडकर जयंती) के चलते भी कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।

भारत जैसे देश में, जहां सोने को केवल आभूषण नहीं बल्कि सांस्कृतिक विरासत और निवेश का माध्यम माना जाता है, वहां इसकी कीमतों में जरा-सी भी हलचल लोगों के ध्यान का केंद्र बन जाती है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि अलग-अलग कैरेट के हिसाब से आज के भाव क्या हैं और आपके शहर में सोना कितने में बिक रहा है।

सोने और चांदी के ताजा भाव – 24 कैरेट, 22 कैरेट, 18 कैरेट और 14 कैरेट

24 कैरेट सोने की कीमत में भारी उछाल

अगर आप शुद्धतम सोने यानी 24 कैरेट के खरीदार हैं, तो आपके लिए ये खबर थोड़ी चौंकाने वाली हो सकती है। शुक्रवार को इसका दाम ₹93,353 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया। यह पिछले बंद मूल्य ₹90,161 से सीधे ₹3,192 की बढ़त है। यह इस बात का संकेत है कि निवेशक अब सुरक्षित विकल्प की ओर रुख कर रहे हैं और सोना हमेशा से ही सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता रहा है।

इतनी बड़ी छलांग उस समय देखने को मिली जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतें ऊपर गईं। इसका असर भारत में सीधा देखने को मिला क्योंकि यहां का सोना आयातित होता है और इसकी कीमतें डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति पर निर्भर करती हैं।

22, 18 और 14 कैरेट के रेट्स

हर कोई 24 कैरेट सोना नहीं खरीदता। आभूषणों में इस्तेमाल होने वाला ज़्यादातर सोना 22 कैरेट का होता है। इस समय 22 कैरेट सोने की कीमत ₹85,511 प्रति 10 ग्राम है। 18 कैरेट की कीमत ₹70,015 प्रति 10 ग्राम और 14 कैरेट की कीमत ₹54,612 प्रति 10 ग्राम चल रही है। ये रेट्स उनकी शुद्धता के आधार पर तय होते हैं—जितना ज्यादा कैरेट, उतना शुद्ध सोना और उतनी ही ज्यादा कीमत।

जो लोग निवेश से ज्यादा गहनों के लिए सोना खरीदते हैं, उनके लिए 22 या 18 कैरेट एक बेहतर विकल्प होता है। जबकि 14 कैरेट आमतौर पर हल्के गहनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, खासकर बच्चों या युवाओं के लिए।

चांदी का बाजार में प्रदर्शन

अब बात करें चांदी की, तो इसमें भी अच्छी-खासी तेजी देखने को मिली है। 24 कैरेट चांदी की कीमत ₹92,929 प्रति किलो हो गई है, जो कि पिछले ₹90,669 से करीब ₹2,260 की बढ़त है। चांदी को भले ही ‘छोटे निवेशकों का सोना’ कहा जाता हो, लेकिन इसका उपयोग सिर्फ गहनों में ही नहीं, बल्कि इंडस्ट्रियल कामों में भी होता है, जिससे इसकी मांग बनी रहती है।

आज भारत के प्रमुख शहरों में सोने की कीमत (City-Wise Gold Price)

मेट्रो शहरों में सोने की कीमतें

भारत के बड़े मेट्रो शहरों में सोने की कीमतें लगभग एक जैसी ही रहती हैं लेकिन थोड़ा बहुत अंतर विनिमय दर और डीलर मार्जिन के कारण होता है। आज के दिन चेन्नई और मुंबई जैसे शहरों में 24 कैरेट सोना ₹95,660 प्रति 10 ग्राम पर बिक रहा है, वहीं दिल्ली और जयपुर में ₹95,810 है।

22 कैरेट के लिए भी यही स्थिति है—मुंबई और चेन्नई में ₹87,690, जबकि दिल्ली में ₹87,840। 18 कैरेट सोने की कीमतें ₹71,750 से लेकर ₹72,590 तक देखी जा रही हैं।

उत्तर भारत के शहरों में रेट

उत्तर भारत में जैसे लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा, अयोध्या और गुरुग्राम जैसे शहरों में भी 24 कैरेट सोने की कीमत ₹95,810 प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट की ₹87,840 है। यह दर्शाता है कि पूरे क्षेत्र में सोने की कीमत स्थिर है और डीलर द्वारा दिए जाने वाले रेट्स में मामूली अंतर हो सकता है।

दक्षिण भारत और अन्य शहरों के भाव

चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में भी दाम लगभग समान हैं, ₹95,660 प्रति 10 ग्राम (24 कैरेट) और ₹87,690 (22 कैरेट)। यह इस बात का संकेत है कि राष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतों में स्थिरता बनी हुई है, और अंतर केवल स्थानीय टैक्स, ज्वेलर की लागत और लॉजिस्टिक्स के कारण हो सकता है।

बाजार बंद होने पर कीमतें स्थिर क्यों रहती हैं?

जब हम सुनते हैं कि शनिवार, रविवार या किसी विशेष छुट्टी के दिन सोने-चांदी की कीमतें “जैसी थीं वैसी ही” बनी रहती हैं, तो यह सवाल ज़रूर आता है—ऐसा क्यों? इसका उत्तर सीधा है: बाज़ार बंद होने की वजह से कोई नया लेन-देन नहीं होता, इसलिए भाव में बदलाव नहीं होता।

वीकेंड और छुट्टियों का असर

भारत में शनिवार और रविवार को बुलियन मार्केट (सोने-चांदी का थोक बाजार) बंद रहता है। इसके अलावा, कुछ सरकारी छुट्टियों या विशेष अवसरों जैसे बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के दिन भी मार्केट बंद रहता है। जब कोई लेन-देन नहीं होता, तब IBJA जैसी संस्थाएं नया भाव अपडेट नहीं करतीं, और पिछले कारोबारी दिन की दरें ही मान्य रहती हैं।

सोचिए, जैसे स्कूल का रिजल्ट छुट्टी के दिन नहीं आता, वैसे ही बाजार का “रिजल्ट” यानी नया भाव भी बंद दिन नहीं आता। इसीलिए, चाहे अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव हो भी जाए, लेकिन भारत में बाजार बंद होने के कारण उसका प्रभाव तुरंत देखने को नहीं मिलता।

कैसे तय होते हैं अवकाश के दिन के दाम

जब बाजार दो या तीन दिन बंद रहता है, तो ट्रेडर्स और निवेशक शुक्रवार की अंतिम कीमत को ही अगले दिन के लिए मान लेते हैं। इसकी वजह यह भी है कि भावों की पारदर्शिता और स्थिरता बनी रहे। इस दौरान कई बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में हलचल होती है, लेकिन उसका असर भारतीय बाजार में तब दिखता है जब वो दोबारा खुलता है।

इसलिए छुट्टियों में सोना खरीदने से पहले हमेशा ये चेक करें कि वह रेट किस दिन का है, ताकि आपको भ्रम ना हो। अगर आप ऑनलाइन खरीददारी कर रहे हैं, तो वेबसाइट्स पर भी यही अंतिम मान्य रेट दर्शाया जाता है।

भारत में सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक

अब बात करते हैं उस पहलू की जो सबसे अहम है—आखिर क्यों बढ़ते हैं सोने के दाम? क्यों कभी अचानक कीमतें गिर जाती हैं? इसके पीछे कई घरेलू और वैश्विक फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं। चलिए, उन्हें बारी-बारी से समझते हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार की भूमिका

भारत में बिकने वाला ज्यादातर सोना आयात किया जाता है, और इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार से सीधे जुड़ी होती है। जब ग्लोबल मार्केट में सोने की कीमतें ऊपर जाती हैं, तो भारत में भी दाम बढ़ते हैं। उदाहरण के लिए, अगर अमेरिका में महंगाई बढ़ती है या डॉलर कमजोर होता है, तो निवेशक सोने में पैसा लगाना शुरू करते हैं, जिससे उसकी ग्लोबल कीमत बढ़ जाती है।

इसी का असर भारतीय बाजार में दिखता है क्योंकि हम सोना विदेशों से खरीदते हैं। इसका मतलब सीधा है—ग्लोबल रेट बढ़ा तो इंडिया में भी सोना महंगा।

डॉलर और रुपया विनिमय दर

सोने का सौदा आमतौर पर डॉलर में होता है। अगर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है, तो हमें सोना महंगे दामों पर खरीदना पड़ता है। जैसे अगर 1 डॉलर = ₹83 हो जाए, तो वही सोना जो पहले ₹80 में आता था, अब ₹83 में आएगा।

रुपया जब गिरता है, तो आयात महंगा हो जाता है और इसी कारण सोना भी महंगा हो जाता है। इसलिए जब भी आप सोने की कीमत में तेजी देखें, एक बार डॉलर-रुपया रेट भी चेक कर लेना फायदेमंद रहेगा।

आयात शुल्क और टैक्स का असर

सरकार सोने के आयात पर शुल्क लगाती है। जब ये शुल्क बढ़ता है, तो स्वाभाविक है कि सोना महंगा हो जाएगा। हाल के वर्षों में सरकार ने सोने पर कस्टम ड्यूटी और जीएसटी जैसे टैक्स लगाए हैं, जिससे इसकी कीमतों पर असर पड़ा है।

अगर सरकार टैक्स कम कर दे, तो सोना सस्ता हो सकता है। लेकिन चूंकि भारत में सोने की खपत बहुत ज्यादा है, सरकार इसे रेगुलेट करना चाहती है ताकि ज्यादा डॉलर बाहर न जाएं। इसीलिए टैक्स लगाए जाते हैं।

मांग और आपूर्ति के खेल का असर

जब शादी का सीजन आता है या कोई बड़ा त्यौहार जैसे दिवाली, अक्षय तृतीया या धनतेरस पास आता है, तो सोने की मांग बढ़ जाती है। ज्यादा मांग का मतलब है ज्यादा बिक्री, और ज्यादा बिक्री का मतलब है दाम में तेजी।

वहीं अगर बाजार में सप्लाई कम हो और मांग ज्यादा, तो भी कीमत बढ़ जाती है। इसका ठीक उल्टा भी होता है—जब मांग घटती है और सप्लाई ज्यादा हो जाती है, तो कीमतें गिर जाती हैं।

इसलिए सोने की कीमत को समझने के लिए यह देखना जरूरी होता है कि मांग और आपूर्ति के समीकरण कैसे चल रहे हैं।


भारत में सोने का सांस्कृतिक और निवेश के रूप में महत्व

भारत में सोना सिर्फ गहनों का धातु नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और भावनाओं का प्रतीक है। यहां सोना खरीदना केवल एक लेन-देन नहीं, बल्कि एक धार्मिक और पारिवारिक आयोजन होता है।

शादी और त्योहारों में सोने की अहमियत

शादी हो या सगाई, दिवाली हो या करवा चौथ—हर खास मौके पर सोने की खरीदारी एक परंपरा बन चुकी है। भारत में इसे शुभ माना जाता है। खासकर महिलाओं के लिए गहने सिर्फ सजावट का सामान नहीं होते, बल्कि सुरक्षा और भविष्य के लिए निवेश भी माने जाते हैं।

ऐसे में जब भी त्यौहार आता है, बाजार में सोने की मांग बढ़ जाती है और कीमतों में तेजी आ जाती है। यही वजह है कि ज्वेलरी शोरूम इन दिनों भारी भीड़ से भर जाते हैं और स्पेशल ऑफर भी दिए जाते हैं।

निवेश के रूप में सोने की भूमिका

सोना हमेशा से ‘सेफ हेवन’ इनवेस्टमेंट यानी सुरक्षित निवेश का जरिया रहा है। जब शेयर बाजार में गिरावट आती है या अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता होती है, तो लोग सोने की ओर रुख करते हैं। इसका कारण यह है कि सोने की कीमतें समय के साथ बढ़ती हैं और यह मुद्रास्फीति (inflation) से भी सुरक्षा देती है।

आजकल डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ETFs और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसे नए तरीके भी आ गए हैं, जिससे युवा भी इसमें निवेश कर रहे हैं। इन सभी कारणों से भारत में सोने की कीमतें न केवल बाजार के रुझानों से बल्कि हमारी संस्कृति और आदतों से भी प्रभावित होती हैं।