सुप्रीम कोर्ट से इमरान प्रतापगढ़ी को राहत, गुजरात की FIR रद्द

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उनके खिलाफ गुजरात के जामनगर में दर्ज एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। यह मामला एक वीडियो के बैकग्राउंड में चल रही कविता को लेकर दर्ज किया गया था। इससे पहले, गुजरात हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आवश्यक है। संविधान के अनुच्छेद 19(1) और अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए, चाहे किसी बड़े वर्ग को उनकी बात पसंद आए या नहीं।

जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि अदालतों का कर्तव्य है कि वे मौलिक अधिकारों की रक्षा करें। उन्होंने यह भी कहा कि जजों को भी कई बार कुछ शब्द पसंद नहीं आते, लेकिन इसके बावजूद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करना जरूरी है।

मामले की पृष्ठभूमि

इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 196, 197, 299, 302 और 57 के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन पर शत्रुता बढ़ाने, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और उन्माद फैलाने का आरोप था।

गुजरात हाईकोर्ट ने 17 जनवरी को उनकी एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि एक राज्यसभा सांसद को यह समझना चाहिए कि उनकी पोस्ट का क्या प्रभाव हो सकता है। हाईकोर्ट ने मामले की जांच को आवश्यक बताया था।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका और अंतिम निर्णय

इमरान प्रतापगढ़ी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी और कहा कि पुलिस को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सही अर्थ समझना चाहिए।

यह मामला उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक वीडियो से जुड़ा था, जिसमें बैकग्राउंड में उनकी कविता “ऐ खून के प्यासे, बात सुनो” चल रही थी। इसे आधार बनाकर एफआईआर दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 3 मार्च को इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब एफआईआर को पूरी तरह रद्द कर दिया है।