सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बिहार में पंचायत चुनावों और मुखियाओं की आपराधिक पृष्ठभूमि को लेकर कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने एक मुखिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि “अगर आपके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है, तो आप बिहार में मुखिया नहीं बन सकते।”
सुनवाई के दौरान अदालत के तीखे सवाल
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से पूछा कि क्या उनके मुवक्किल के खिलाफ अन्य आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि कई अन्य मामले भी लंबित हैं, लेकिन ये सभी “गांव की राजनीति” के कारण दर्ज किए गए हैं।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि “बिहार में पंचायत के मुखिया के खिलाफ एक न एक आपराधिक मामला तो दर्ज होना ही चाहिए।” उन्होंने आगे जोड़ा कि उनके साथी जज का मानना है कि “अगर किसी के खिलाफ कोई केस नहीं है, तो वह बिहार में मुखिया बनने के योग्य ही नहीं है।”
अग्रिम जमानत याचिका खारिज
याचिकाकर्ता के वकील ने बार-बार इस दलील को दोहराया कि उनका मुवक्किल झूठे मुकदमे में फंसाया गया है और उसे अग्रिम जमानत मिलनी चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलें खारिज करते हुए कहा, “आपने गुंडों को किराए पर लिया, उनमें से एक हेलमेट पहने था, दूसरा टोपी पहने बाइक पर था, और उनमें से एक ने मोबाइल गिरा दिया। अब आप फंस गए हैं क्योंकि आपके खिलाफ ठोस साक्ष्य हैं।”
इस टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुखिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।