सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व जस्टिस निर्मल यादव को बहुचर्चित “दरवाजे पर कैश” मामले में बरी कर दिया है। यह मामला 2008 का है, जब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज रहते हुए उन पर 15 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगा था। विशेष सीबीआई जज अलका मलिक की अदालत ने शनिवार को अपना फैसला सुनाया और निर्मल यादव समेत चार अन्य आरोपियों को आरोपों से मुक्त कर दिया। इस केस में कुल पांच आरोपी थे, जिनमें से एक की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी।
कैसे सामने आया मामला?
यह मामला 2008 में एक अनोखी घटना के चलते सामने आया। हाईकोर्ट की जस्टिस निर्मलजीत कौर, जो महज 33 दिन पहले ही जज बनी थीं, के घर के दरवाजे पर अचानक नोटों से भरा एक पैकेट पहुंच गया। इस घटना की जानकारी उन्हें नहीं थी, इसलिए उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित किया। जांच आगे बढ़ी, तो यह रिश्वत प्रकरण उजागर हुआ और बाद में रिटायर्ड जस्टिस निर्मल यादव पर भी आरोप लगे। यादव और हरियाणा के तत्कालीन एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, हालांकि बंसल की कुछ वर्षों बाद मृत्यु हो गई।
17 साल चली कानूनी लड़ाई
इस मामले की सुनवाई के दौरान कई जज बदले और कुल 89 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। 12 गवाहों को दोबारा बुलाकर बयान दर्ज किए गए। अदालत ने पाया कि मुख्य गवाहों ने अपने पहले दिए गए बयानों से पलटते हुए अलग बयान दिए, जिससे मामला कमजोर हो गया। साथ ही, सीबीआई ठोस डिजिटल या दस्तावेजी सबूत पेश नहीं कर पाई।
अंतिम फैसला
29 मार्च 2025 को विशेष सीबीआई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत करने में असफल रहा। इसके चलते कोर्ट ने पूर्व जस्टिस निर्मल यादव समेत चारों आरोपियों को दोषमुक्त करार दे दिया।