
7 अप्रैल 2025 को दुनिया भर के शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली। भारत में भी बाजार खुलते ही भारी गिरावट दर्ज की गई। प्री-ओपनिंग सेशन में सेंसेक्स 3,900 अंक से अधिक गिर गया, जबकि निफ्टी में भी 1,140 अंकों की गिरावट आई। निफ्टी 21,800 के नीचे पहुंच गया, और सेंसेक्स 3,939 अंक गिरकर 71,425 के स्तर पर खुला।
इन शेयरों में आई सबसे ज्यादा गिरावट
- इंफोसिस के शेयरों में 8 प्रतिशत की गिरावट के साथ यह 1,343 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है।
- टाटा मोटर्स में भी 8 प्रतिशत की गिरावट आई, और इसका स्टॉक 565 रुपये के करीब पहुंच गया।
- टाटा स्टील के शेयरों में 10 प्रतिशत तक गिरावट रही, जो 126 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है।
- मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स के शेयर 7 प्रतिशत से अधिक गिरे और 2,352 रुपये के करीब आ गए।
- रिलायंस इंडस्ट्रीज में 4 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई और स्टॉक 1,154 रुपये पर पहुंच गया।
- टीसीएस के शेयरों में 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई, और यह 3,148 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा है।
इसके साथ ही इंडिया VIX (वोलैटिलिटी इंडेक्स) 40 प्रतिशत की बढ़त के साथ 19.26 पर पहुंच गया है, जो बाजार में अस्थिरता के संकेत दे रहा है।
बाजार विश्लेषकों की राय
बाजार विशेषज्ञ शरद कोहली ने इस गिरावट को “ब्लैक मंडे” करार दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी बाजारों में शुक्रवार को 6 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के बाद भारतीय बाजारों में इस तरह की गिरावट अपेक्षित थी। उनका मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ दुनिया भर के बाजारों पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं। उन्होंने ट्रम्प से अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है।
शुक्रवार को भारतीय बाजार की स्थिति
पिछले शुक्रवार, 4 अप्रैल को भी शेयर बाजार कमजोर रहा। बीएसई सेंसेक्स 930 अंकों की गिरावट के साथ 75,364 पर बंद हुआ। इस गिरावट के कारण बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण करीब 10 लाख करोड़ रुपये घटकर 403 लाख करोड़ रुपये रह गया। बीएसई में 2,820 शेयरों में गिरावट दर्ज हुई, जबकि केवल 1,126 शेयरों में तेजी आई।
दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट
जापान के निक्केई 225 इंडेक्स में 9 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज हुई, जो अक्टूबर 2023 के बाद से सबसे निचला स्तर है। जापान के बैंकिंग सेक्टर में 17 प्रतिशत की गिरावट आई। दक्षिण कोरिया का कोस्पी सूचकांक 4.3 प्रतिशत गिरा और कोस्डैक में भी 3.4 प्रतिशत की गिरावट रही। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स फ्यूचर्स 22,772 पर कारोबार कर रहा है। यह सब अमेरिका की नीतियों और टैरिफ के प्रभाव से जुड़ा बताया जा रहा है।
ब्लैक मंडे की चेतावनी
अमेरिकी बाजारों में 4 अप्रैल को जबरदस्त गिरावट के बाद विश्लेषकों ने 7 अप्रैल को ‘ब्लैक मंडे 2.0’ की चेतावनी दी थी। उस दिन अमेरिकी बाजारों में 5 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ था। डॉऊ जोन्स, एसएंडपी 500 और नैस्डैक फ्यूचर्स में भी भारी गिरावट आई थी।
ब्लैक मंडे का इतिहास
‘ब्लैक मंडे’ पहली बार 19 अक्टूबर 1987 को देखा गया था, जब डॉऊ जोन्स में एक दिन में 22.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इसके बाद एसएंडपी 500 और दुनिया भर के प्रमुख बाजारों में भी 20 से 30 प्रतिशत तक की गिरावट हुई थी। 1987 के बाद आज के हालात को एक और बड़े आर्थिक संकट के रूप में देखा जा रहा है।
निवेशकों को बड़ा नुकसान
इस गिरावट के कारण शुक्रवार को निवेशकों की संपत्ति में करीब 10 लाख करोड़ रुपये की कमी आई। वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाओं और कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट के चलते निवेशकों का विश्वास डगमगाया है। बड़ी कंपनियों जैसे रिलायंस, एलएंडटी और इंफोसिस के शेयरों में भारी बिकवाली ने बाजार की धारणा को कमजोर किया है।