विवाह मुहूर्त 2025: खरमास के बाद शुरू होंगे शुभ विवाह समारोह, अप्रैल से बजेंगी शहनाइयां

 

विवाह मुहूर्त 2025: खरमास के बाद शुरू होंगे शुभ विवाह समारोह, अप्रैल से बजेंगी शहनाइयां
विवाह मुहूर्त 2025: खरमास के बाद शुरू होंगे शुभ विवाह समारोह, अप्रैल से बजेंगी शहनाइयां

इस साल 14 मार्च 2025 से खरमास की शुरुआत हुई थी, जो 13 अप्रैल 2025 तक चलेगा। जब सूर्य देव गुरु की राशियों—धनु या मीन—में प्रवेश करते हैं, तब उस अवधि को खरमास या मलमास कहा जाता है। इस दौरान किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करना वर्जित माना जाता है, खासकर सगाई और विवाह जैसे संस्कारों को।

फिलहाल सूर्य मीन राशि में स्थित हैं, इसलिए शादियों पर रोक है। लेकिन 13 अप्रैल को खरमास समाप्त हो जाएगा और 14 अप्रैल से एक बार फिर विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। इस साल चातुर्मास शुरू होने से पहले अप्रैल, मई और जून में विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। आइए जानते हैं इन महीनों के प्रमुख शुभ विवाह तिथियां:


अप्रैल 2025 के विवाह मुहूर्त

  • 14 अप्रैल, सोमवार
  • 16 अप्रैल, बुधवार
  • 17 अप्रैल, गुरुवार
  • 18 अप्रैल, शुक्रवार
  • 19 अप्रैल, शनिवार
  • 20 अप्रैल, रविवार
  • 21 अप्रैल, सोमवार
  • 25 अप्रैल, शुक्रवार
  • 29 अप्रैल, मंगलवार
  • 30 अप्रैल, बुधवार

मई 2025 के विवाह मुहूर्त

  • 1 मई, गुरुवार
  • 5 मई, सोमवार
  • 6 मई, मंगलवार
  • 8 मई, गुरुवार
  • 10 मई, शनिवार
  • 14 मई, बुधवार
  • 15 मई, गुरुवार
  • 16 मई, शुक्रवार
  • 17 मई, शनिवार
  • 18 मई, रविवार
  • 22 मई, गुरुवार
  • 23 मई, शुक्रवार
  • 24 मई, शनिवार
  • 27 मई, मंगलवार
  • 28 मई, बुधवार

जून 2025 के विवाह मुहूर्त

  • 2 जून, सोमवार
  • 4 जून, बुधवार
  • 5 जून, गुरुवार
  • 7 जून, शनिवार
  • 8 जून, रविवार

जुलाई से अक्टूबर तक विवाह पर रहेगा विराम

जून के बाद विवाह योग्य शुभ मुहूर्त के लिए नवंबर तक इंतजार करना होगा। 6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम के लिए चले जाते हैं और अगले चार महीनों तक योगनिद्रा में रहते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है और इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।

जब 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु पुनः जागेंगे, तभी से एक बार फिर से शुभ कार्यों, खासकर विवाह आदि की शुरुआत होगी। यही वह दिन होता है जब तुलसी विवाह भी संपन्न होता है और धार्मिक रूप से विवाह का नया शुभ काल शुरू होता है।

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