वक्फ संशोधन विधेयक 2025: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और विपक्षी सांसदों ने जताई आपत्ति, राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट का रुख

वक्फ संशोधन विधेयक 2025: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और विपक्षी सांसदों ने जताई आपत्ति, राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट का रुख
वक्फ संशोधन विधेयक 2025: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और विपक्षी सांसदों ने जताई आपत्ति, राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट का रुख

संसद के दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — से वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पारित हो चुका है। अब यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून का रूप ले लेगा। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस विधेयक को लेकर अपनी गंभीर चिंताएं जाहिर की हैं और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने का समय मांगा है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताई चिंता

बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्द्दीदी द्वारा राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि यह विधेयक वक्फ संस्थानों की प्रशासनिक स्वायत्तता को प्रभावित करेगा। बोर्ड ने इसे “पूरी तरह से असंवैधानिक” बताते हुए कहा कि यह देश के मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात है।

बोर्ड की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, “हम राष्ट्रपति से मिलने का आग्रह करते हैं ताकि हाल ही में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 और इसके संभावित प्रभावों को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त कर सकें।”

कांग्रेस सांसद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

इस बीच, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने इस विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने विधेयक को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध बताया है। बिहार के किशनगंज से सांसद जावेद पहले इस विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।

जावेद का आरोप है कि इस विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर मनमाने प्रतिबंध लगाते हैं और यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि अब किसी व्यक्ति को वक्फ करने के लिए धार्मिक मान्यताओं का पालन साबित करना होगा, जो न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन भी है।

ओवैसी की भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि यह कानून मुस्लिमों की धार्मिक पहचान और वक्फ संपत्तियों के संरक्षण को नुकसान पहुंचाएगा। ओवैसी ने विधेयक के संवैधानिक पहलुओं को लेकर कई आपत्तियां जताई हैं और न्यायालय से इसे रद्द करने की मांग की है।

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