
देश की सियासत में बीते कुछ दिनों से वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर खासा हंगामा देखने को मिला है। संसद से लेकर सड़कों तक इस मुद्दे पर तीखी बहस और विरोध प्रदर्शन हुए। अब यह विधेयक कानून बन चुका है और इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले पक्षों ने न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट में इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 अप्रैल 2025 को सुनवाई होगी।
तीन न्यायाधीशों की पीठ करेगी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ इन याचिकाओं पर विचार करेगी। इस पीठ में उनके साथ न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन भी शामिल होंगे। यह पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिनमें वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती दी गई है।
सरकार ने दायर किया कैविएट
केंद्र सरकार ने इस मामले में पहले ही कैविएट दायर कर दी है। कैविएट एक ऐसा कानूनी उपाय है, जिसके जरिए कोई पक्ष अदालत से यह अनुरोध करता है कि संबंधित मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसकी बात सुनी जाए। यानी केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान वह अपनी बात रखने का अवसर प्राप्त करे।
10 से अधिक याचिकाएं दाखिल
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस मामले में अब तक 10 से अधिक याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। इन याचिकाओं में विभिन्न संगठनों, नेताओं और संस्थाओं ने अधिनियम की वैधता को लेकर सवाल उठाए हैं। इन याचिकाकर्ताओं में प्रमुख रूप से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और जमीयत उलमा-ए-हिंद जैसे संगठन शामिल हैं।
क्या है मुद्दा?
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर आरोप हैं कि यह कुछ समुदायों की धार्मिक संपत्तियों और अधिकारों को प्रभावित कर सकता है। विरोध करने वालों का कहना है कि यह कानून संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है। वहीं, सरकार का तर्क है कि यह संशोधन प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए जरूरी था।
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