वक्फ संशोधन विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में बड़े बदलाव करेगा। नए वक्फ कानून को लेकर सरकार के क्या दावे हैं? मुसलमानों के लिए इसके क्या लाभ और हानियाँ हैं? वक्फ का क्या मतलब है? यह शब्द ‘वक्फ’ कहां से आया है? उसकी कुल सम्पत्ति कितनी है? वक्फ संशोधन विधेयक में वक्फ की नई परिभाषा क्या है? आइये उन सभी चीजों के बारे में जानें।
वक्फ संशोधन विधेयक
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर 2 और 3 अप्रैल 2025 को संसद में जो कुछ भी होगा, उसकी जड़ें 8 अगस्त 2024 में हैं। नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 के बाद बुलाए गए बजट सत्र में सरकार दो विधेयक लेकर आई है। पहला विधेयक वक्फ संशोधन-2024 है। और दूसरा विधेयक मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक-2024 है। इन दोनों विधायकों को लोकसभा में लाया गया है। सरकार ने कहा था कि इस विधेयक के जरिए वक्फ संपत्तियों का उचित प्रबंधन हो सकेगा। साथ ही कार्यों में आसानी भी होगी।
1. वक्फ का क्या मतलब है?
ऐसी संपत्तियों को वक्फ कहा जाता है। जिसमें धार्मिक एवं धर्मार्थ कार्यों के लिए आरक्षण रखा गया है। इस्लामी कानून में इन परिसंपत्तियों का उपयोग केवल धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इन परिसंपत्तियों का उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिए नहीं किया जाता है। संपत्ति को वक्फ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका स्वामित्व किसी विशेष व्यक्ति के पास नहीं होता। अब यह अल्लाह के नाम पर है। एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ घोषित हो जाती है तो किसी भी व्यक्ति का उस पर कोई अधिकार नहीं रहता।
2. भारत में वक्फ का इतिहास
भारत में वक्फ का इतिहास दिल्ली सल्तनत के युग से शुरू होता है। तत्कालीन सुल्तान मुहम्मद गौरी ने मुल्तान में जामा मस्जिद के नाम पर दो गांवों का नाम रखा। साथ ही, इसके रखरखाव की जिम्मेदारी इस्लामी दुनिया के प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान शेख-उल-इस्लाम को सौंपी गई थी। भारत में दिल्ली सल्तनत और उसके बाद के इस्लामी राजवंशों के विस्तार के साथ वक्फ संपत्तियों का विकास जारी रहा।
3. वक्फ के नाम कितनी संपत्ति है?
आज की स्थिति में, वक्फ बोर्ड के पास भारतीय रेलवे और भारतीय सेना के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी संपत्ति है। वर्तमान में वक्फ बोर्ड देश भर में करीब 8 लाख 70 हजार संपत्तियों पर नियंत्रण रखता है। ये संपत्तियां लगभग 9 लाख 40 हजार एकड़ भूमि पर फैली हुई हैं। इसकी अनुमानित लागत 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये है। भारत में दुनिया में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां हैं।
4. वक्फ दावे और चिंताएं
सरकार के तर्क क्या हैं?
1. वक्फ संशोधन विधेयक 2024 वक्फ अधिनियम 1995 में कुछ बड़े बदलाव करेगा। इससे भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन की मौजूदा संरचना में बदलाव आएगा। सरकार इसे सुधार कह रही है। इसलिए विपक्ष और कई मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बता रहे हैं।
2. नये संशोधन के बाद वक्फ की परिभाषा और पंजीकरण प्रक्रिया पूरी तरह बदल जायेगी। साथ ही, वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में प्रौद्योगिकी की भूमिका बढ़ाने का भी दावा किया गया है। सरकार का दावा है कि इससे वक्फ बोर्ड के कामकाज में एकरूपता, पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।
3. वहीं, मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 का वास्तविक उद्देश्य मुस्लिम वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त करना है। सरकार ने इसे औपनिवेशिक युग का विधेयक बताते हुए कहा है कि यह न केवल पुराना है बल्कि आधुनिक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए अपर्याप्त भी है।
हालाँकि, अब मोदी सरकार के पास संसद में पहले जैसा बहुमत नहीं है। इसलिए, उन्हें अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ परामर्श करने के बाद ही इस मामले को आगे बढ़ाना पड़ा। विपक्ष और गठबंधन सहयोगियों की कुछ आपत्तियों के बाद सरकार ने इसे संसद की संयुक्त समिति जेपीसी को भेज दिया। कुछ बदलावों के बाद अब यह विधेयक संसद में पुनः पेश किया जा रहा है।
विपक्ष के तर्क
1. विपक्षी दलों और मुसलमानों से जुड़े संगठनों का कहना है कि नया कानून असंवैधानिक और राजनीतिक मकसद से लाया जा रहा है। ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड समेत अन्य मुस्लिम संगठनों को वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिमों की मौजूदगी सुनिश्चित करने पर आपत्ति है। मुस्लिम सदस्यों के लिए दो महिला सदस्यों का होना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
2. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वक्फ संपत्ति निजी है. जबकि इस कानून के बाद सरकार इसे सरकारी संपत्ति मान सकती है। उनका दावा है कि बिना दस्तावेजों के वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण नहीं किया जा सकता। और अगर पंजीकरण नहीं होगा तो सरकार उन संपत्तियों को जब्त कर लेगी।
3. सांसद इमरान मसूद का कहना है कि जो संपत्ति विवादित नहीं है और सरकारी नहीं है, वह वक्फ रहेगी। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने वक्फ के नाम पर दर्ज 14,500 हेक्टेयर भूमि में से 11,500 हेक्टेयर भूमि को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया है। नये कानून के अनुसार अब इसे सरकारी संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया जाएगा। इमरान मसूद ने इस पर आपत्ति जताई है।
4. डीएम की शक्तियों को लेकर भी विवाद है। नये संशोधन के बाद, सरकार और वक्फ बोर्ड दोनों द्वारा दावा की जाने वाली संपत्ति या भूमि पर निर्णय डीएम के विवेक पर निर्भर करता है। यदि डीएम उस संपत्ति को सरकारी संपत्ति मान लेता है तो वह हमेशा के लिए सरकारी संपत्ति हो जाएगी। इसके अलावा वक्फ बोर्ड का सर्वेक्षण कराने का अधिकार भी अब खत्म हो जाएगा। बोर्ड सर्वेक्षण कराकर नई संपत्तियों पर दावा नहीं कर सकेगा।
प्रावधान जो कम विवादास्पद रहे हैं
1. कुछ लोग शिया और सुन्नी समुदायों के अलावा बोहरा और आगा खानी समुदायों के लिए अलग बोर्ड बनाने पर आपत्ति जताते हैं।
2. विवाद की स्थिति में अब तक वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल का निर्णय अंतिम माना जाता था। लेकिन अब इसके आदेश के खिलाफ 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील भी की जा सकेगी। उच्च न्यायालय इस पर अपना निर्णय ले सकता है।