संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद वक्फ विधेयक पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अपनी मंजूरी दे दी है। अब वक्फ विधेयक वक्फ अधिनियम बन गया है और इसके क्रियान्वयन के संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। एनडीए के घटक दल नेशनल पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (एनपीपी) के नेता और मणिपुर के क्षत्रगांव निर्वाचन क्षेत्र से विधायक शेख नूरुल हसन ने गुरुवार को वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। इसके अलावा टीएमसी सांसद महुआ मौइत्रा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है और इसे निरस्त करने की मांग की है।
मणिपुर में एनडीए के घटक दल एनपीपी के विधायक हसन ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर वक्फ अधिनियम में किए गए उन परिवर्तनों पर चिंता व्यक्त की है, जिनके कारण इस्लाम को मानने वाले अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को अपनी संपत्ति वक्फ को देने से वंचित कर दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि यह उनके धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है कि वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की धारा 3ई अनुसूचित जनजातियों (पांचवीं या छठी अनुसूची के तहत) के सदस्यों के स्वामित्व वाली भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने से रोकती है। एनपीपी विधायक ने अपनी याचिका में कानून में किए गए संशोधनों को मनमाना और मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों पर नियंत्रण का प्रयास बताया है।
याचिका में कहा गया है कि कानून में संशोधन मनमाने प्रतिबंध लगाता है तथा इस्लामी धार्मिक संस्थाओं पर राज्य का नियंत्रण बढ़ाता है। याचिका में कहा गया है कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों से वक्फ का धार्मिक चरित्र विकृत हो जाएगा और साथ ही वक्फ एवं वक्फ बोर्ड के प्रशासन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी।
दूसरी ओर, टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने भी सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कानून में संशोधन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों में गंभीर प्रक्रियागत खामियां हैं और यह संविधान में निहित कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने याचिका में कहा है कि कानून बनाने की प्रक्रिया के दौरान संसदीय प्रथाओं के उल्लंघन ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की असंवैधानिकता में योगदान दिया है।
याचिका में कहा गया है कि वक्फ संशोधन अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), 15(1) (भेदभाव न करना), 19(1)(ए) और (सी) (भाषण और संघ बनाने की स्वतंत्रता, 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), 25 और 26 (धर्म की स्वतंत्रता), 29 और 30 (अल्पसंख्यकों के अधिकार) और अनुच्छेद 300ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है।