पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को गुरुवार को लंदन में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के केलॉग कॉलेज में भाषण देते समय हंगामे का सामना करना पड़ा। ममता बनर्जी भाषण दे रही थीं और अचानक प्रदर्शनकारी छात्रों के एक समूह ने हंगामा करना शुरू कर दिया। छात्रों ने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा और आरजी कर कॉलेज एवं अस्पताल में हुए वित्तीय घोटाले का मुद्दा उठाया। छात्रों ने उनसे कड़े सवाल पूछे और ‘ममता वापस जाओ’ के नारे भी लगाए। इस विरोध के जवाब में ममता बनर्जी ने 1990 के दशक की अपनी एक तस्वीर दिखाई जिसमें उनके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी। उन्होंने दावा किया कि जब वह विपक्ष में थे तब उनकी हत्या का भी प्रयास किया गया था।
इसे राजनीतिक मंच मत बनाइये।
दरअसल, विवाद ममता बनर्जी के भाषण के दौरान तब पैदा हुआ जब एक दर्शक ने उनसे पश्चिम बंगाल में लाखों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों के बारे में पूछा। ममता जब अपने सवाल का जवाब दे रही थीं तो बीच में एक अन्य दर्शक ने कुछ पूछ लिया। तभी कुछ लोगों ने उनसे कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए बलात्कार और हत्या मामले के बारे में सवाल पूछा। इस पर ममता ने कहा कि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है और केंद्र सरकार के पास है। इसे राजनीतिक मंच मत बनाइये।
वहां “ममता बनर्जी वापस जाओ” के नारे लगे।
ममता ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर निशाना साधते हुए कहा, “आप बंगाल जाकर अपनी राजनीतिक पार्टी को मजबूत करें और फिर मुझसे सवाल करें।” सबसे पहले मेरी तस्वीर देखिए कि कैसे उन्होंने मुझे मारने की कोशिश की। इस दौरान कुछ लोगों ने बंगाल में हिंदुओं के साथ हो रहे व्यवहार पर सवाल उठाए तो इस पर ममता ने जवाब दिया कि मैं सभी धर्मों के लिए हूं, मेरे लिए हिंदू और मुस्लिम समान हैं। हालांकि, इस जवाब के बाद कुछ छात्रों ने “ममता बनर्जी वापस जाओ” के नारे लगाने शुरू कर दिए।
रिपोर्टों के अनुसार, विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई-यूके) के सदस्यों ने किया। उन्होंने ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने का आरोप लगाया। इस पर ममता ने पलटवार करते हुए कहा कि आप लोग ऐसा हर जगह करते हैं। आप मेरे वामपंथी मित्र और सांप्रदायिक मित्र हैं जो राजनीति करने के लिए किसी भी मंच का उपयोग करते हैं। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी इस प्रदर्शन की तस्वीरें अपने फेसबुक पर शेयर की हैं।
इसके अलावा अपने भाषण में ममता बनर्जी ने एकता और समावेशी विकास पर जोर देते हुए कहा कि जब मैं कुर्सी पर हूं तो समाज को बांट नहीं सकती। हमें सभी धर्मों, जातियों और वर्गों के लिए मिलकर काम करना चाहिए। एकता हमारी ताकत है और विभाजन पतन का कारण बनता है। स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को बांटने में कुछ समय लगता है लेकिन एकता बनाए रखना कठिन काम है।