रूस-यूक्रेन युद्ध में सीजफायर पर बनी सहमति, पीएम मोदी की कूटनीतिक भूमिका रही अहम

Vladimir putin narendra modi 174

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच दो घंटे लंबी बैठक के बाद रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से जारी युद्ध को रोकने पर सहमति बन गई। इस संघर्ष विराम (सीजफायर) के पीछे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक पहल को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है।

पीएम मोदी के प्रभाव से पीछे हटे पुतिन?

पोलैंड के उप-विदेश मंत्री व्लादिस्लॉ बारतोसज्विस्की ने इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के मजबूत रुख ने इस युद्ध को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा,
“व्लादिमीर पुतिन लगातार परमाणु हमले की धमकी दे रहे थे और कह रहे थे कि यूक्रेन पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा। अमेरिकी अधिकारियों ने उन्हें कई बार चेतावनी दी, लेकिन पुतिन अपनी जिद पर अड़े रहे।”

पोलिश मंत्री ने आगे बताया,
“इसी दौरान पुतिन को दो फोन कॉल मिले—एक चीन से और दूसरा भारत से। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि परमाणु युद्ध किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। चीन ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दी। चूंकि रूस दोनों देशों को अपना करीबी दोस्त मानता है, इसलिए जब भारत और चीन ने एक साथ विरोध किया, तो पुतिन के पास पीछे हटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। इस तरह, पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई।”

यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी माना मोदी का प्रभाव

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की पहले भी कह चुके हैं कि पीएम मोदी इस युद्ध को समाप्त कराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया था कि मोदी अपने प्रभाव का उपयोग कर पुतिन को युद्ध रोकने के लिए मना सकते हैं।

30 दिनों के लिए हमले रोकने पर सहमति

मंगलवार शाम को हुई बैठक के बाद क्रेमलिन ने घोषणा की कि रूस अगले 30 दिनों तक यूक्रेन के ऊर्जा ठिकानों पर हमले नहीं करेगा।

डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के पांच दिनों बाद ही वैश्विक नेताओं से बातचीत शुरू कर दी थी, जिसमें पुतिन के साथ उनकी चर्चा बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। यह पहले से ही अटकलें थीं कि ट्रंप अपने पुराने संबंधों का उपयोग कर पुतिन को युद्ध रोकने के लिए मना सकते हैं।

सऊदी अरब ने निभाई मध्यस्थ की भूमिका

इस संघर्ष विराम को लेकर सऊदी अरब ने भी मध्यस्थता की भूमिका निभाई। इसी दौरान यूक्रेन और रूस के प्रतिनिधियों की वार्ता भी कराई गई, जिसके बाद युद्धविराम पर सहमति बनी।