नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को I.N.D.I.A गठबंधन का नेतृत्व सौंपने की सलाह देकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू यादव ने एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद कीर्ति आजाद ने भी एक वीडियो बयान में ममता बनर्जी को गठबंधन का अध्यक्ष बनाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी नेतृत्व के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। लालू यादव के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में गहमागहमी बढ़ गई है।
संजय राउत की प्रतिक्रिया – राहुल गांधी पर भरोसा कायम
लालू यादव के इस बयान पर शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने साफ शब्दों में प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी के नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं उठा रहा है। राहुल गांधी हमारे नेता हैं और रहेंगे। मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को मजबूत करने में राहुल गांधी का बड़ा योगदान है। इसे कोई नकार नहीं सकता।”
राउत ने आगे कहा कि I.N.D.I.A गठबंधन सिर्फ कांग्रेस तक सीमित नहीं है। इसमें कई दल शामिल हैं और हर दल का अपना दृष्टिकोण हो सकता है। उन्होंने कहा, “अगर ममता बनर्जी या किसी अन्य नेता के नेतृत्व में बदलाव से गठबंधन की ताकत बढ़ती है, तो इस पर विचार किया जा सकता है।” हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसा कोई फैसला सभी दलों की सहमति से ही होना चाहिए। कांग्रेस को भी इस विषय पर बाकी दलों के साथ चर्चा करनी चाहिए।
I.N.D.I.A गठबंधन में नेतृत्व को लेकर मंथन की जरूरत
संजय राउत के बयान से यह स्पष्ट होता है कि I.N.D.I.A गठबंधन में नेतृत्व को लेकर एक खुली चर्चा की संभावना बनी हुई है। जहां एक ओर राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाई है, वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी जैसी वरिष्ठ नेता को आगे लाने के सुझाव पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। लालू यादव जैसे अनुभवी नेता के बयान को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
टीएमसी और अन्य दलों की राय
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि ममता बनर्जी में गठबंधन का नेतृत्व करने की क्षमता है। कीर्ति आजाद ने कहा कि ममता बनर्जी की राजनीतिक सूझ-बूझ और उनके नेतृत्व कौशल की मिसाल दी जा सकती है। वह न केवल एक मजबूत मुख्यमंत्री हैं बल्कि विपक्षी दलों को एकजुट करने की क्षमता भी रखती हैं।
संवेदनशील मुद्दा, सामूहिक सहमति की दरकार
संयुक्त विपक्ष की सफलता के लिए जरूरी है कि सभी दल एकजुट होकर नेतृत्व के मुद्दे पर कोई ठोस फैसला लें। हालांकि संजय राउत के बयान से यह भी जाहिर होता है कि किसी भी तरह का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए। यह फैसला तभी लिया जाना चाहिए जब सभी दलों की सामूहिक सहमति बन जाए।