राजस्थान में सड़क विकास को नई रफ्तार, सीकर जिले में 93.65 करोड़ की लागत से बनेंगी 6 नई सड़कें

राजस्थान में सड़क विकास को नई रफ्तार, सीकर जिले में 93.65 करोड़ की लागत से बनेंगी 6 नई सड़कें
राजस्थान में सड़क विकास को नई रफ्तार, सीकर जिले में 93.65 करोड़ की लागत से बनेंगी 6 नई सड़कें

राजस्थान में बीते वर्षों में सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुआ है और अब यह काम और तेजी पकड़ने जा रहा है। राज्य सरकार के नए फैसले के तहत सीकर जिले में कुल 93.65 करोड़ रुपये की लागत से छह नई सड़कें बनाई जाएंगी। इन सड़कों का कुल लंबाई 103 किलोमीटर होगी। निर्माण कार्य का टेंडर मई माह में सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा जारी किया जाएगा। इन सड़कों के बनने से जिले के तीन दर्जन से अधिक गांवों को सीधा लाभ मिलेगा।

हर गांव तक पहुंचेगी चौड़ी और पक्की सड़क

सार्वजनिक निर्माण विभाग ने इन सड़कों की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) राज्य सरकार को पहले ही सौंप दी थी, जिसे अब स्वीकृति दे दी गई है। इन सड़कों का निर्माण केवल आवागमन को बेहतर बनाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे गांवों की अर्थव्यवस्था और जीवनशैली में भी महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिलेगा।

मुख्य सड़क परियोजनाएं

  1. पालवास-तासर-आडा दर्रा से धोद विधानसभा तक
    • लंबाई: 3.5 किमी
    • लागत: 1.5 करोड़ रुपये
  2. सामोता की ढाणी से कोटड़ी लुहारवास होते हुए आभावास तक
    • लंबाई: 75 किमी
    • लागत: 35 करोड़ रुपये
  3. NHC-52 से श्रीमाधोपुर तक सड़क निर्माण
    • लंबाई: 12 किमी
    • लागत: 50 करोड़ रुपये
  4. नेछवा मुख्य स्टेशन से एसडीएम कार्यालय और बालाजी स्टेशन तक
    • लंबाई: 4.90 किमी
    • कार्य: चौड़ाईकरण और मजबूतीकरण
    • लागत: 4.50 करोड़ रुपये
  5. खुड़ी छोटी से सांवलोद लाडखानी तक बीटी सड़क
    • लंबाई: 5.5 किमी
    • लागत: 1.65 करोड़ रुपये
  6. पालवास से श्यामपुरा के बीच तेतरवालों की ढाणी तक मिसिंग लिंक रोड
    • लंबाई: 2.5 किमी
    • लागत: 1 करोड़ रुपये

गांवों को क्या मिलेगा लाभ?

103 किलोमीटर लंबी इन सड़कों के निर्माण से जिले के 36 से अधिक गांवों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। बरसात के मौसम में कीचड़ और जलभराव की समस्या से निजात मिलेगी। दुर्घटनाओं की आशंका भी कम होगी, क्योंकि अब सड़कें चौड़ी और साफ होंगी जिससे छोटे वाहनों को सामने से आने वाले वाहन स्पष्ट दिखेंगे।

इस परियोजना के माध्यम से राज्य सरकार न केवल बुनियादी सुविधाएं बेहतर कर रही है, बल्कि गांवों को शहरों से जोड़ने की दिशा में एक मजबूत कदम भी उठा रही है।

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