राजस्थान के आदिवासी बहुल जिले बांसवाड़ा में विकास की रफ्तार अब और तेज होने वाली है। यहां के लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है – जल्द ही जिले को दो नए स्टेट हाइवे, SH-54A और SH-91A, की सौगात मिलने जा रही है। ये हाइवे न सिर्फ स्थानीय कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएंगे, बल्कि बांसवाड़ा को प्रतापगढ़ और मध्यप्रदेश के रतलाम जैसे शहरों से भी जोड़ेंगे।
स्टेट हाइवे SH-54A: गढ़ी से मध्यप्रदेश सीमा तक
SH-54A को गढ़ी से शुरू किया जाएगा, जो पहले से ही नेशनल हाइवे-927A से जुड़ा हुआ है। यह हाईवे बागीदौरा, कलिंजरा और कुशलगढ़ होते हुए बगायचा गांव के पास मध्यप्रदेश की सीमा तक पहुंचेगा, जहां भैरु पछाड़ पुलिस चौकी स्थित है। यहां से आगे यह रोड थांदला में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा, जो बांसवाड़ा को सीधे राष्ट्रीय स्तर की कनेक्टिविटी देगा।
- कुल लंबाई: 80.447 किलोमीटर
- प्रमुख स्थान: गढ़ी, बागीदौरा, कलिंजरा, कुशलगढ़
- लाभ: रतलाम और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से सीधा संपर्क
स्टेट हाइवे SH-91A: धरियावद से साबला तक
दूसरा हाइवे, SH-91A, प्रतापगढ़ जिले के धरियावद से होकर गुजरेगा। यह सड़क धरियावद से पारसोला और फिर साबला तक जाएगी। इस हिस्से की लंबाई 30.900 किलोमीटर होगी।
- कुल लंबाई: 30.9 किलोमीटर
- प्रमुख स्थान: धरियावद, पारसोला, साबला
- वर्तमान स्थिति: इंटरमिडिएट सड़क (सिंगल और डबल के बीच की)
- उन्नयन: टू-लेन स्टेट हाइवे में बदलेगी
80 गांव होंगे स्टेट हाइवे से सीधे जुड़े
इस परियोजना के बाद करीब 80 गांवों को सीधी स्टेट हाइवे कनेक्टिविटी मिलेगी। इनमें से:
- 60 गांव बांसवाड़ा जिले के गढ़ी-बागीदौरा-कलिंजरा-कुशलगढ़ के बीच हैं।
- 20 गांव प्रतापगढ़ के धरियावद-पारसोला-साबला क्षेत्र में हैं।
इन गांवों में फिलहाल सिर्फ सिंगल लेन सड़कें हैं, जिनसे यातायात धीमा और असुविधाजनक रहता है। अब इन सड़कों को टू-लेन स्टेट हाइवे में बदला जाएगा, जिससे यात्रा का समय घटेगा और सुविधाएं बढ़ेंगी।
5 से 7 लाख लोगों को होगा सीधा फायदा
इस परियोजना से बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिलों के 5 से 7 लाख लोगों को सीधा फायदा होगा। खासकर वे लोग जो इन 80 गांवों के 500 से ज्यादा फलां (टोले/झोपड़पट्टी) में रहते हैं, उनके लिए यह कनेक्टिविटी एक नई जिंदगी की तरह होगी।
यह हाइवे उन्हें न सिर्फ जिला मुख्यालयों से जोड़ेगा, बल्कि रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को भी आसान बना देगा।
बड़े फायदे – एक्सप्रेसवे से सीधा लिंक
सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, जो देश का प्रमुख कॉरिडोर है, अब इन इलाकों से सिर्फ कुछ किलोमीटर की दूरी पर रह जाएगा। इससे न सिर्फ माल और यात्री परिवहन तेज होगा, बल्कि नए व्यवसायिक और औद्योगिक अवसर भी पैदा होंगे।
परियोजना लागत और टाइमलाइन
- कुल लागत: ₹334 करोड़
- निविदा (टेंडर): अप्रैल में बिड खुलेगी
- निर्माण की अवधि: लगभग 1.5 साल
- प्रोजेक्ट इंचार्ज: दिनेश कुमार मीणा, एक्सईएन (प्रोजेक्ट), PWD बांसवाड़ा
एक ही एनआईटी (Notice Inviting Tender) के तहत दोनों हाइवे हिस्सों का निर्माण कराया जाएगा, जिससे काम की गति बनी रहेगी और लागत नियंत्रित रहेगी।
कनेक्टिविटी से बढ़ेगा क्षेत्रीय विकास
यह प्रोजेक्ट ना सिर्फ बांसवाड़ा की कनेक्टिविटी सुधारेगा, बल्कि पर्यटन, व्यापार और सामाजिक विकास को भी गति देगा। बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जैसे सीमावर्ती जिले, जो अब तक विकास की दौड़ में थोड़े पीछे रहे हैं, अब “हाइवे से विकास” की ओर बढ़ेंगे।