
भारतीय रेलवे इन दिनों हाई स्पीड ट्रेनों के संचालन पर ध्यान दे रहा है, ताकि यात्रियों को सहूलियत हो और उनका सफर भी तेज हो। वंदे भारत, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस जैसी तेज रफ्तार वाली ट्रेनों के संचालन से रेलवे ने यात्रियों के सफर को अधिक आरामदायक और कम समय का बना दिया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन ट्रेनों का असली मालिक कौन है?
आईआरएफसी (Indian Railway Finance Corporation) का महत्वपूर्ण भूमिका
हाल ही में भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) को ‘नवरत्न’ का दर्जा मिला है, जिससे यह कंपनी चर्चा में है। नवरत्न का दर्जा मिलने के बाद, आईआरएफसी को कई वित्तीय अधिकार मिले हैं, जिससे यह रेलवे क्षेत्र में अधिक प्रभावी तरीके से कार्य कर सकेगा। आईआरएफसी के सीईओ और सीएमडी, मनोज कुमार दुबे ने कहा कि नवरत्न का दर्जा मिलने से कंपनी को तेजी से फैसले लेने की स्वतंत्रता मिलेगी। अब वे रेलवे सेक्टर में अपने लोन देने के कारोबार को और तेज करेंगे।
रेलवे को किराए पर दिए जाते हैं कोच
वंदे भारत, शताब्दी एक्सप्रेस और अन्य स्पेशल ट्रेनों के मालिक कौन हैं, इस पर मनोज कुमार दुबे ने बताया कि भारतीय रेलवे में उपयोग किए जाने वाले सभी इंजन, मालगाड़ी के डिब्बे और यात्री कोच भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) के होते हैं। ये कोच 30 साल के लिए रेलवे को किराए पर दिए जाते हैं। इन ट्रेनों के लिए आईआरएफसी के फंड से पैसा आता है और ये ट्रेने 30 साल तक आईआरएफसी के नाम पर ही रहती हैं।
आईआरएफसी की संपत्ति होते हैं ये कोच
इसलिए वंदे भारत एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें तकनीकी रूप से आईआरएफसी की संपत्ति होती हैं। इसका मतलब यह है कि भारतीय रेलवे की लगभग 80% यात्री ट्रेनें और मालगाड़ियां आईआरएफसी की हैं। यह कंपनी भारतीय रेलवे के विकास में अहम भूमिका निभाती है।
आईआरएफसी का वित्तीय योगदान
मनोज कुमार दुबे के अनुसार, रेलवे को आवंटित बजट के अलावा जो अतिरिक्त धन की जरूरत होती है, वह आईआरएफसी बाजार से कम लागत पर जुटाता है और रेलवे को बहुत कम मुनाफे पर देता है। यह काम आईआरएफसी पिछले 40 साल से करता आ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि आईआरएफसी केवल रेलवे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रेलवे इकोसिस्टम के सभी पहलुओं से जुड़े अन्य प्रोजेक्ट्स को भी वित्तपोषित करेगा। इन प्रोजेक्ट्स के लिए कंपनी कम ब्याज दर पर धन उपलब्ध कराएगी।
इस प्रकार, आईआरएफसी भारतीय रेलवे के वित्तीय तंत्र का अहम हिस्सा है, जो रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रोजेक्ट्स को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान करता है।