म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप, भारी तबाही और बचाव कार्य में मुश्किलें

म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने जन-जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। पहले से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे इस देश में राहत और बचाव कार्य भी बाधित हो रहा है। सड़कों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचने के कारण राहत सामग्री प्रभावित इलाकों तक नहीं पहुंच पा रही है। वहीं, भूकंप के झटकों (आफ्टरशॉक्स) के डर से हजारों लोग अपने घरों से बाहर रहने को मजबूर हैं।

भूकंप का असर और जनहानि

  • 1600 से अधिक लोगों की मौत और 3400 से अधिक घायल।

  • सैकड़ों घर तबाह, लोग सड़कों पर रात बिताने को मजबूर।

  • सड़कें और पुल ध्वस्त, संचार सेवाएं ठप।

  • जरूरी दवाइयों और रक्त की भारी किल्लत।

यूएन एजेंसी की रिपोर्ट और मदद की गुहार

संयुक्त राष्ट्र यूएन ऑफिस फॉर कोऑर्डिनेशन ऑफ ह्यूमनिटेरियन अफेयर्स (OCHA) ने बताया कि

  • बचाव कार्य कठिनाइयों से घिरा है, क्योंकि सड़कों और पुलों को नुकसान के चलते जरूरतमंदों तक सहायता नहीं पहुंच पा रही।

  • संचार व्यवस्था ठप, जिससे राहत प्रयासों में देरी हो रही है।

  • भूकंप पीड़ितों तक दवाइयां और भोजन पहुंचाना बेहद मुश्किल हो गया है।

  • म्यांमार की सेना ने अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की।

भारत का बचाव अभियान ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’

भारत ने संकट की इस घड़ी में म्यांमार की मदद के लिए ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया है।

  • 15 टन राहत सामग्री और बचाव दल भेजे।

  • हवाई और समुद्री मार्गों से आपातकालीन आपूर्ति जारी।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के सैन्य जनरल मिन आंग ह्लाइंग से बातचीत कर भारत के समर्थन की पुष्टि की।

  • भारत भूकंप के बाद म्यांमार को सहायता पहुंचाने वाला पहला देश बना।