भीमा कोरेगांव मामले के नजरबंद गौतम नवलखा पर सुरक्षा खर्च के 1.6 करोड़ रुपये बकाया

नई दिल्ली, 09 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले के नजरबंद आरोपित गौतम नवलखा से कहा है कि वे उनकी सुरक्षा पर महाराष्ट्र सरकार की ओर से खर्च किए गए 1.6 करोड़ रुपये के भुगतान से बच नहीं सकते। जस्टिस एमएम सुंदरेश की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि नजरबंदी के लिए याचिका आपने दायर की है, इसलिए सुरक्षा का खर्च भी आपको चुकाना होगा। कोर्ट ने गौतम नवलखा की नजरबंदी सुनवाई की अगली तिथि तक बढ़ाने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।

दरअसल, एनआईए की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने गौतम नवलखा की सुरक्षा पर 1.6 करोड़ रुपये बकाया होने का दावा किया। उन्होंने कहा कि गौतम नवलखा नजरबंदी के दौरान उनकी सुरक्षा में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। एनआईए के दावे का गौतम नवलखा ने फिरौती करार दिया। नवलखा की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें सुरक्षा पर आए खर्च का भुगतान करने में कोई समस्या नहीं है लेकिन इसका हिसाब कानून के मुताबिक होना चाहिए।

सुनवाई के दौरान राजू ने 7 मार्च को कहा था कि गौतम नवलखा ने सुरक्षा पर होने वाले खर्च के मद में केवल दस लाख रुपये ही अदा किए हैं। उन्हें कुछ रकम जमा करना चाहिए। इस पर गौतम नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन ने एनआईए की ओर से पेश किए गए दावे का विरोध करते हुए कहा था कि ये रकम सही नहीं है। एनआईए हिरासत में रखने के लिए एक करोड़ का दावा नहीं कर सकती है। तब राजू ने कहा था कि आम नागरिकों को नजरबंद नहीं रखा जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर, 2022 को गौतम नवलखा को घर में नजरबंद करने का आदेश दिया था। 08 अप्रैल 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे को सरेंडर करने का आदेश दिया था। एक जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव की दो सौंवीं सालगिरह पर हुए कार्यक्रम में हिंसा हुई थी। उसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। इस मामले में पुलिस ने 162 लोगों के खिलाफ 58 केस दर्ज किए हैं।