भारत में तलाक से जुड़ा कानून: शादी के कितने समय बाद ले सकते हैं तलाक, जानिए नियम और प्रक्रिया

भारत में तलाक से जुड़ा कानून: शादी के कितने समय बाद ले सकते हैं तलाक, जानिए नियम और प्रक्रिया
भारत में तलाक से जुड़ा कानून: शादी के कितने समय बाद ले सकते हैं तलाक, जानिए नियम और प्रक्रिया

शादी के बाद रिश्तों में उतार-चढ़ाव आना सामान्य बात है, लेकिन जब ये समस्याएं गंभीर रूप ले लेती हैं, तो कई बार पति-पत्नी के बीच का रिश्ता खत्म होने की कगार पर पहुंच जाता है। कुछ लोग शादी के बहुत सालों बाद अलग होते हैं, तो कुछ जोड़े शादी के कुछ महीनों में ही अलग होने का फैसला कर लेते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत में तलाक लेने के लिए क्या नियम हैं, और क्या कोई न्यूनतम समय सीमा तय की गई है?

क्या शादी के तुरंत बाद तलाक लिया जा सकता है?

भारत में तलाक लेने की प्रक्रिया दो श्रेणियों में आती है:

  1. आपसी सहमति से तलाक (Mutual Consent Divorce)
  2. एकतरफा तलाक (Contested Divorce)

इन दोनों ही परिस्थितियों में कानूनी प्रावधान और प्रक्रिया अलग-अलग होती है।

एकतरफा तलाक के लिए क्या है नियम?

दिल्ली हाईकोर्ट के वकील प्रेम जोशी के अनुसार, यदि कोई पति या पत्नी तलाक लेना चाहता है और दूसरा पक्ष सहमत नहीं है, तो वह कंटेस्टेड डाइवोर्स फाइल कर सकता है।

  • इस प्रकार का तलाक शादी के एक दिन बाद भी फाइल किया जा सकता है।
  • इसमें कोई न्यूनतम समय सीमा नहीं है।
  • कोर्ट में याचिका दाखिल करते समय विवाह में आई समस्याओं और कारणों को विस्तार से प्रस्तुत करना होता है।

आपसी सहमति से तलाक के लिए क्या है समय सीमा?

  • म्यूचुअल डाइवोर्स यानी आपसी सहमति से तलाक के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी ने कम से कम एक वर्ष साथ में विवाहित जीवन बिताया हो।
  • एक साल के बाद यदि दोनों पक्ष तलाक के लिए सहमत हों, तो कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है।
  • इसके बाद कोर्ट 6 महीने की कूलिंग पीरियड देता है ताकि दोनों पक्ष एक बार फिर सुलह का प्रयास कर सकें।
  • यदि 6 महीने बाद भी दोनों अपने निर्णय पर कायम रहते हैं, तो सेक्शन 13B के तहत कोर्ट तलाक को मंजूरी दे सकता है।

क्या कोर्ट समय सीमा को कम कर सकता है?

कुछ विशेष परिस्थितियों में, जहां पति-पत्नी के बीच रिश्ते पूरी तरह टूट चुके हों और सुलह की कोई संभावना न हो, कोर्ट 6 महीने का कूलिंग पीरियड भी हटा सकता है।