
अमेरिका द्वारा 12 अप्रैल को विभिन्न देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद वैश्विक बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई। इस घटनाक्रम से न केवल शेयर बाजार प्रभावित हुए, बल्कि अमेरिकी डॉलर की स्थिति भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोर हुई। डॉलर की कमजोरी के चलते भारत में विदेशी निवेशकों का प्रवाह बढ़ा, जिसका सीधा असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ा।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 676.27 अरब डॉलर तक पहुंचा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 4 अप्रैल 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 10.87 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 676.27 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
- यह लगातार पांचवां सप्ताह है जब भंडार में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
- इससे एक सप्ताह पहले यह 665.39 अरब डॉलर था।
हालांकि हालिया महीनों में रीवैल्यूएशन और रुपये में उतार-चढ़ाव के चलते भंडार में कुछ गिरावट आई थी, जिसे अब स्थिरता मिलती दिख रही है।
सितंबर 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार ने बनाया था रिकॉर्ड
- सितंबर 2024 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सर्वोच्च स्तर 704.89 अरब डॉलर पर पहुंचा था।
- 4 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (Foreign Currency Assets) 9.1 अरब डॉलर बढ़कर 574.09 अरब डॉलर हो गईं।
- इन आस्तियों में डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की वैल्यूएशन का प्रभाव भी शामिल होता है।
गोल्ड रिजर्व और एसडीआर में भी बढ़ोतरी
- गोल्ड रिजर्व का मूल्य 15.7 लाख डॉलर बढ़कर 79.36 अरब डॉलर हो गया।
- विशेष आहरण अधिकार (SDR) 18.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.36 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
- आईएमएफ के पास भारत का आरक्षित भंडार भी 4.6 करोड़ डॉलर की वृद्धि के साथ 4.46 अरब डॉलर हो गया।
पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में भी सुधार
भारत के साथ-साथ पाकिस्तान को भी डॉलर की कमजोरी का फायदा मिला है।
- 2 अप्रैल 2025 को समाप्त सप्ताह में पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में 173 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
- इससे एक सप्ताह पहले भी भंडार में 28.7 मिलियन डॉलर की वृद्धि देखी गई थी।
- अब पाकिस्तान का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 15.752 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है।
यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान आर्थिक संकट और मुद्रा भंडार की भारी कमी से जूझ रहा है।