बांग्लादेश में सत्ता संघर्ष की शुरुआत; खलीलुर रहमान की एनएसए के रूप में नियुक्ति से सेना प्रमुख ज़मान नाराज़

ढाका: बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता की पृष्ठभूमि में एक बड़े उलटफेर में, खलीलुर रहमान को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त किया गया है, जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पद है। हालाँकि, यह नियुक्ति सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मान के लिए एक झटका है। क्योंकि यह घोषणा ऐसे समय की गई जब ज़मान रूस और क्रोएशिया के दौरे पर थे।

पिछले वर्ष शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया था। इसी सरकार ने 9 अप्रैल को अचानक खलीलुर रहमान को एनएसए के पद पर नियुक्त कर दिया। इस फैसले से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है, साथ ही आशंका व्यक्त की जा रही है कि इससे सेना और सरकार के बीच शक्ति संतुलन बिगड़ जाएगा।

लोग नाराज हैं, संघर्ष की संभावना बढ़ गई है

सूत्रों से पता चला है कि सेना प्रमुख जनरल जमान इस नियुक्ति से बेहद नाखुश हैं। विश्लेषकों के अनुसार, ज़मान को पूरी तरह विश्वास में न लेने का निर्णय असंवैधानिक और सेना के सम्मान के विरुद्ध माना जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले से सेना और सरकार के बीच टकराव पैदा हो सकता है और इसका सीधा असर मोहम्मद यूनुस पर पड़ सकता है। सेना प्रमुख के असंतोष के राजनीतिक परिणाम सरकार की स्थिरता पर प्रश्नचिह्न लगा सकते हैं।

खलीलुर रहमान, एक विवादास्पद व्यक्तित्व

खलीलुर रहमान की छवि विवादास्पद और संदिग्ध मानी जाती है। विश्लेषक नजमुल अहसन कलीमुल्लाह के अनुसार, रहमान सहित मोहम्मद यूनुस सरकार के लगभग आठ सलाहकार विदेशी पासपोर्ट धारक हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में गंभीर संदेह पैदा होता है। दिलचस्प बात यह है कि खलीलुर रहमान के पास अमेरिकी पासपोर्ट है और कहा जाता है कि उनका झुकाव अमेरिकी सुरक्षा प्रणाली की ओर है। विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि इससे उनके निर्णय विदेशी हितों से प्रभावित हो सकते हैं।

पिछली विवादास्पद घटनाओं का उल्लेख

खलीलुर रहमान का नाम 2001 में एक महिला सरकारी कर्मचारी की हत्या से जुड़ा था। साथ ही उनके कुछ अन्य विवाद भी रहे। पूर्व सैन्य अधिकारी और सुप्रीम कोर्ट के वकील सरवर हुसैन ने कहा कि इसलिए एनएसए जैसे महत्वपूर्ण पद पर उनकी नियुक्ति से पहले उनकी पृष्ठभूमि की गहन जांच अपेक्षित थी। हुसैन ने कहा, “यूनुस सरकार ने इस नियुक्ति को करते समय न तो कोई जांच की और न ही कोई उच्चस्तरीय परामर्श किया। इसलिए यह निर्णय और भी संदिग्ध लगता है।”

राजनीतिक असंतुलन के संकेत स्पष्ट हैं।

इस मामले ने एक बार फिर बांग्लादेश में सैन्य और नागरिक सरकार के बीच सत्ता संघर्ष के संकेत दिए हैं। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि सैन्य असंतोष के कारण आने वाले समय में राजनीतिक संकट उत्पन्न हो जाएगा। कई विशेषज्ञों का मानना ​​है कि मोहम्मद यूनुस खलीलुर रहमान को भारत के अजीत डोभाल जैसा दर्जा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि, अब यह स्पष्ट हो गया है कि चुना गया व्यक्ति और समय दोनों ही अनुपयुक्त थे।

 क्या सरकार को सेना के क्रोध का सामना करना पड़ेगा?

खलीलुर रहमान की एनएसए के रूप में नियुक्ति न केवल एक प्रशासनिक परिवर्तन है, बल्कि बांग्लादेश की सत्ता संरचना में एक बड़े बदलाव का प्रतिनिधित्व करती है। सेना प्रमुख ज़मान का असंतोष, रहमान की विवादास्पद पृष्ठभूमि और सरकार की एकतरफा कार्रवाई – इन सबने बांग्लादेश को एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता के कगार पर ला खड़ा किया है। इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि इस निर्णय का मुहम्मद यूनुस पर राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव पड़ सकता है।