
बलूचिस्तान में हाल ही में हुई ट्रेन हाईजैक की घटना ने पाकिस्तान को हिला कर रख दिया है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने करीब 500 यात्रियों वाली एक ट्रेन को हाईजैक कर न सिर्फ पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए, बल्कि पूरे देश में दहशत का माहौल पैदा कर दिया। इसके बाद से पाकिस्तान रेलवे ने बलूचिस्तान में रात के समय ट्रेन संचालन बंद कर दिया है।
सुरक्षा खतरे के कारण रोकी गई ट्रेन
रविवार रात कराची से क्वेटा जा रही बोलान एक्सप्रेस को जैकबाबाद स्टेशन पर ही रोक दिया गया। रेलवे अधिकारियों ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि जब तक सुरक्षा क्लियरेंस नहीं मिलती, ट्रेन आगे नहीं बढ़ेगी। इस कारण करीब 150 यात्रियों को ट्रेन से उतारना पड़ा और उन्हें बसों और अन्य वाहनों से क्वेटा भेजा गया।
पाकिस्तान रेलवे के सीईओ आमिर अली बलोच ने बताया कि ट्रेन को रात में आगे भेजना बेहद जोखिम भरा होता। अगर यह ट्रेन निर्धारित समय पर चलती, तो यह देर रात सिबी पहुंचती, जहां बलूच विद्रोहियों के हमले का खतरा और अधिक था।
यात्रियों का गुस्सा, सरकार पर सवाल
इस घटना के बाद यात्रियों ने नाराजगी जताई और इसे सरकार की नाकामी करार दिया। उनका कहना है कि अगर सुरक्षा नहीं दी जा सकती, तो आम लोगों को सफर की इजाजत क्यों दी जाती है। अब रेलवे प्रशासन ने बोलान मेल की समय सारणी में बदलाव की योजना बनाई है। यह ट्रेन अब दोपहर 3 बजे कराची से रवाना होगी ताकि बलूचिस्तान के हिस्से में रात के समय सफर न करना पड़े। पहले यह ट्रेन शाम 7 बजे रवाना होती थी।
जब जफर एक्सप्रेस बनी थी निशाना
कुछ समय पहले बलूच लिबरेशन आर्मी ने जफर एक्सप्रेस को भी हाईजैक कर लिया था। उस हमले में लगभग 24 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद यात्रियों को छुड़ाया गया था, लेकिन विद्रोहियों ने 10 पंजाबी यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना ने पाकिस्तान में असुरक्षा की भावना को और गहरा कर दिया। अब रेलवे किसी तरह का जोखिम लेने के मूड में नहीं है।
बलूच लिबरेशन आर्मी: आज़ादी की मांग और बढ़ती हिंसा
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा, लेकिन सबसे कम आबादी वाला प्रांत है। खनिज संसाधनों से भरपूर इस इलाके के लोग लंबे समय से खुद को उपेक्षित और शोषित महसूस करते हैं। बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे संगठन पाकिस्तान से आजादी की मांग करते हैं और सेना, सरकारी प्रतिष्ठानों तथा विदेशी निवेश परियोजनाओं पर हमले करते हैं।
विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) से जुड़ी परियोजनाएं इनका प्रमुख निशाना रही हैं। हाल के वर्षों में इन हमलों में तेज़ी आई है, जिससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता गहराती जा रही है।
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