बड़े उद्योगपतियों ने बैंकों का 11 लाख करोड़ रुपया डकार लिया; संसद में सरकार का कबूलनामा

मुंबई:  केंद्र सरकार ने संसद में माना कि देश में बैंकों का करीब 11 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है, जिसमें उद्योगपति और वाणिज्यिक कंपनियां भी शामिल हैं। हालांकि, बैंक की वेबसाइट पर बताया गया है कि किस बैंक द्वारा किस कंपनी या उद्योगपति को कितनी राशि बकाया है, इसका विवरण आमतौर पर सार्वजनिक डोमेन या भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्टों में नहीं दिया जाता है।

यह जानकारी बैंकिंग प्रणाली और बाजार की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती है, इसलिए आरबीआई और सरकार ऐसी संवेदनशील जानकारी को गोपनीय रखती हैं। इसके लिए बैंकिंग नियम एवं विनियम अधिनियम 1949 तथा गोपनीयता नीतियों को आधार बनाया गया है। हालाँकि, यह जानकारी वित्त मंत्रालय और आरबीआई की कुछ टिप्पणियों से सामने आई है।

 

मार्च 2023 तक सार्वजनिक और निजी बैंकों का कुल एनपीए लगभग 11 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें कॉर्पोरेट ऋणों का बड़ा हिस्सा है। इनमें से अधिकांश ऋण बड़े उद्योगपतियों और कॉर्पोरेट समूहों द्वारा लिए गए हैं। रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 7.3% था जबकि निजी बैंकों का 3.9% था। BANIC के बकाया ऋणों में बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, इस्पात, विमानन और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों का बड़ा हिस्सा है। इनमें भूषण स्टील, एस्सार स्टील, जेपी इंफ्राटेक, आईएलएंडएफएस और जेट एयरवेज जैसी कंपनियां शामिल हैं।

संकटग्रस्त बैंक

भारतीय स्टेट बैंक: सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक होने के कारण इसका बकाया ऋण सबसे अधिक है, जो अनुमानित 2 से 3 लाख करोड़ रुपये है।

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी): धोखाधड़ी और चूक के कारण लगभग 80,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक और अन्य बैंकों को भी कॉर्पोरेट ऋणों के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

 

प्रमुख ऋणी उद्योगपति

विजय माल्या: किंगफिशर एयरलाइंस पर उनका लगभग 9,000 करोड़ रुपये बकाया है। इसमें भारतीय स्टेट बैंक और अन्य बैंक शामिल हैं।

नीरव मोदी और मेहुल चोकसी: पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में लगभग 14,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

आईएलडीएफएस: इस कंपनी के डिफॉल्ट होने के कारण 91,000 करोड़ रुपये बकाया हो गए, जिसका कई बैंकों पर बड़ा असर पड़ा।

अनिल अंबानी: रिलायंस कम्युनिकेशंस और अन्य सहायक कंपनियों पर लगभग 40,000 करोड़ रुपये बकाया है।

धीरूभाई अंबानी इन्फ्रास्ट्रक्चर: यह कंपनी भी 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण पर डिफॉल्ट कर चुकी है।