प्रधानमंत्री मोदी का नागपुर दौरा: संघ मुख्यालय और दीक्षा भूमि को देंगे श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने नागपुर दौरे के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय का भी दौरा करेंगे। बतौर प्रधानमंत्री, संघ मुख्यालय जाने वाले पहले नेता बनने का गौरव उन्हें प्राप्त होगा। इस दौरे में उनके साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहेंगे।

संघ मुख्यालय और दीक्षा भूमि का दौरा

मोदी हिंदू नव वर्ष और गुड़ी पड़वा के शुभ अवसर पर संघ मुख्यालय पहुंचेंगे, जहां वह संघ के प्रथम सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरुजी) को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद वह दीक्षा भूमि भी जाएंगे, जहां वह डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि देंगे।

राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण दौरा

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भाजपा और संघ के संबंधों को और मजबूत करने के संकेत देता है। सूत्रों के मुताबिक, मोदी और मोहन भागवत के बीच बंद कमरे में बैठक भी हो सकती है, जो भाजपा के संगठनात्मक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।

विशेष रूप से भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया को देखते हुए इस मुलाकात का राजनीतिक महत्व और बढ़ जाता है। जेपी नड्डा के कार्यकाल की समाप्ति के बाद पार्टी का नया नेतृत्व कौन संभालेगा, इस पर संघ और भाजपा के बीच समन्वय बनाना आवश्यक होगा।

संघ और भाजपा के संबंधों पर प्रभाव

हाल के लोकसभा चुनावों में भाजपा और संघ के बीच कुछ दूरी देखने को मिली थी, लेकिन इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में संघ ने भाजपा का समर्थन किया। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा दोनों संगठनों के बीच संबंधों को फिर से मजबूत करने का प्रयास हो सकता है।

सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रमों और 2029 के आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए भी यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर बढ़ाया भी जा सकता है। जो भी नया अध्यक्ष बनेगा, वह 2028 तक पार्टी का नेतृत्व करेगा और संभवतः 2029 के लोकसभा चुनाव तक भी पद पर बना रहेगा।

संकेतों से भरा दौरा

मोदी का संघ मुख्यालय जाना मूल कैडर और समर्थक वर्ग को सीधा संदेश देने का प्रयास माना जा रहा है। इसके जरिये वह भाजपा और संघ के बीच सामाजिक समरसता के कार्यक्रमों को गति देने का संकेत भी दे सकते हैं।

संघ मुख्यालय और दीक्षा भूमि का दौरा न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में आने वाले बदलावों की दिशा भी तय कर सकता है।