
भारत में अयोध्या के श्रीराम मंदिर की भव्यता और लोकप्रियता ने न सिर्फ देश में बल्कि पाकिस्तान में भी बड़ी चर्चा पैदा कर दी है। राम नवमी 2025 के अवसर पर अयोध्या में आयोजित कार्यक्रमों, श्रीराम के सूर्यतिलक और मंदिर की भव्यता ने पड़ोसी देश के लोगों का ध्यान खींचा है। पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल्स से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह श्रीराम मंदिर को लेकर चर्चाएं हो रही हैं।
अयोध्या का सूर्य तिलक पाकिस्तान में वायरल
राम नवमी के दिन सूर्य की किरणें अयोध्या में भगवान श्रीराम के ललाट पर पड़ती हैं। यह अद्भुत नजारा, जो विज्ञान और आस्था का मिलन है, पाकिस्तान में भी कई बार देखा और सराहा गया। पाकिस्तानी यूट्यूबर्स ने इस पर वीडियो बनाए, कई बार रिवाइंड कर देखा और इस तकनीक को समझने की कोशिश की।
पाकिस्तानी मंदिरों में मंदिर टूरिज्म की चर्चा
भारत में मंदिर टूरिज्म से हो रही कमाई को देखकर पाकिस्तान में भी यह चर्चा शुरू हो गई है कि वहां के मंदिरों को संरक्षित किया जाए और विदेशी पर्यटकों को आने की अनुमति दी जाए। कई पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों पर यह भी कहा गया कि अगर भारतीय हिंदू पर्यटक पाकिस्तान के ऐतिहासिक मंदिरों को देखने आएं, तो इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिल सकता है।
पाकिस्तानी यूट्यूबर्स श्रीराम मंदिर पर अभिभूत
रामलला की पोशाक, आभूषण और मंदिर की भव्यता देखकर पाकिस्तानी दर्शक चकित हैं। कई वीडियो में वे यह कहते नजर आए कि भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता है, अब उन्हें इसका जवाब मिल गया है। श्रीराम मंदिर में लगे सोने के दरवाजे, भक्तों की भीड़ और मंदिर की व्यवस्था ने पाकिस्तानी समाज को हैरान कर दिया है।
श्रीराम मंदिर की धनवर्षा से चौंके पड़ोसी
पाकिस्तान में श्रीराम मंदिर में चढ़ने वाले चढ़ावे की राशि को जानकर भी लोग हैरान हैं। मंदिर में अब तक 700 करोड़ रुपये से अधिक की चढ़ौती हो चुकी है और कुल दान 5000 करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है। पाकिस्तानी नागरिक यह कहते नजर आ रहे हैं कि इस धन से तो उनका राष्ट्रीय कर्ज भी उतर सकता है।
लाहौर में मंदिरों के पुनर्निर्माण की चर्चा
पाकिस्तान के लाहौर में मंदिरों के जीर्णोद्धार और निर्माण की योजनाओं को लेकर भी सोशल मीडिया पर कई चर्चाएं हो रही हैं। कुछ स्थानीय लोग यह मानते हैं कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच धार्मिक टूरिज्म की इजाजत मिले तो लाहौर “दुबई” बन सकता है। लाहौर में 5000 वर्ष पुराने मंदिरों की उपस्थिति बताई जा रही है, जिन्हें यदि सजाया जाए तो अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं का आकर्षण बन सकते हैं।
श्रीराम का लाहौर से संबंध
ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार लाहौर का नाम श्रीराम के पुत्र लव के नाम पर पड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि लाहौर किले में आज भी लव की समाधि है, जहां स्थानीय हिंदू श्रद्धालु जाकर पूजा करते हैं। पाकिस्तान के लोग भी यह मानने लगे हैं कि यदि लव महाराज की कृपा हो जाए, तो लाहौर के अच्छे दिन लौट सकते हैं।
कट्टरपंथियों के विरोध के बीच बदलाव की उम्मीद
पाकिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों को लेकर कट्टरपंथियों का विरोध अब भी बना हुआ है। कई बार मंदिरों में तोड़फोड़ और विरोध प्रदर्शन भी होते हैं। बावजूद इसके, वहां के कुछ लोग अब यह सोचने लगे हैं कि धार्मिक सहिष्णुता और आस्था के प्रति सम्मान से आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर भी सुधार हो सकता है।
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