
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हम ऐसे पड़ोसी देश की मानसिकता नहीं बदल सकते, जिसकी सोच धर्मांधता और कट्टरता पर आधारित है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी पाकिस्तान की इस मानसिकता को नहीं बदल पाई थीं।
भारत की कड़ी नजर और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मामला उठाने का दावा
जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर बारीकी से नजर रखती है और इस विषय को संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाती रहती है।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों के खिलाफ अत्याचारों की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
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फरवरी 2024 में:
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हिंदुओं पर अत्याचार के 10 मामले
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सिखों के उत्पीड़न के 2 मामले
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ईसाई समुदाय के एक व्यक्ति पर ज्यादती का मामला
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अहमदिया समुदाय के खिलाफ उत्पीड़न का भी मामला दर्ज
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होली खेल रहे छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई
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जबरन धर्मांतरण और अपहरण की घटनाएं
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जयशंकर ने यह भी बताया कि बांग्लादेश में 2024 में अल्पसंख्यकों पर 2400 हमले हुए, जबकि 2025 में अब तक 75 मामले सामने आ चुके हैं।
“कड़ी कार्रवाई करेगी सरकार?”—सांसदों के सवाल पर जयशंकर का जवाब
शिवसेना (उबाठा) सांसद अरविंद सावंत ने इस मुद्दे पर सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का जिक्र करते हुए कहा,
“आज भी इंदिरा गांधी की याद आती है। क्या हमारी सरकार वैसी कड़ी कार्रवाई करेगी?”
इसके जवाब में जयशंकर ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की घटती जनसंख्या और उनके उत्पीड़न पर भारत सरकार लगातार आवाज उठा रही है, लेकिन पड़ोसी देश की कट्टर मानसिकता को बदलना संभव नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाकिस्तान में हालात जस के तस
भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद के सवाल पर जयशंकर ने दोहराया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया गया है, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तानी सरकार कोई ठोस कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है।
जयशंकर के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि भारत सरकार इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार उठाएगी, लेकिन पाकिस्तान की कट्टर मानसिकता बदलना आसान नहीं है।