नेपाल में राजशाही समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प: दो की मौत

काठमांडू: नेपाल में हजारों लोग राजशाही की बहाली की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें रोकने के लिए नेपाल सरकार पुलिस और सेना का बल प्रयोग कर रही है। इसके कारण नेपाल के कई क्षेत्रों में सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा हुई है। प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों में आग लगा दी। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नेपाली सेना को सड़कों पर तैनात किया गया है। इस झड़प में दो लोग मारे गए और 30 घायल हो गए। 

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की और पुलिस पर पत्थर भी फेंके। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं, जिससे प्रदर्शनकारी और भड़क गए और उन्होंने व्यापारिक प्रतिष्ठानों, शॉपिंग मॉल, राजनीतिक दलों के कार्यालयों, मीडिया घरानों आदि में तोड़फोड़ और आगजनी की। इस दौरान 12 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। नेपाल के कुछ शाही परिवार भी चल रहे प्रदर्शन में शामिल हैं। 

हजारों प्रदर्शनकारियों ने नेपाल का राष्ट्रीय ध्वज लहराया और पूर्व नरेश ज्ञानेन्द्र शाह की तस्वीर ली तथा नारे लगाए, जैसे “राजा, आओ देश बचाओ”, “भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद” तथा “हमें राजशाही वापस चाहिए।” स्थिति को देखते हुए हिंसा भड़काने वाले कई लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि कर्फ्यू का उल्लंघन करने के आरोप में कई युवकों को गिरफ्तार भी किया गया है। 2008 में नेपाली सरकार ने संसद में कानून पारित करके राजशाही को समाप्त कर दिया। परिणामस्वरूप नेपाल भी भारत की तरह एक लोकतांत्रिक देश बन गया। ऐसे में मौजूदा सरकार के भ्रष्टाचार और खराब शासन के कारण एक बार फिर राजशाही की मांग तीव्र हो गई है। 

प्रदर्शनकारियों का दावा है कि 9 मार्च को ज्ञानेंद्र के स्वागत के लिए चार लाख से अधिक लोग एकत्र हुए थे, जबकि समाचार एजेंसियों का दावा है कि दस हजार लोग एकत्र हुए थे। नेपाल में 2008 से अब तक 13 बार सरकारें बदल चुकी हैं। लगातार सरकार बदलने और भ्रष्टाचार, खराब आर्थिक स्थिति, बेरोजगारी और गरीबी के कारण लोकतंत्र में जनता का भरोसा खत्म हो रहा है और इसलिए राजशाही की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने अब हिंसक रूप ले लिया है।