नेपाल में राजशाही समर्थकों का हिंसक प्रदर्शन, कर्फ्यू लागू, सेना तैनात

नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान राजनीतिक दल के कार्यालयों पर हमला और पथराव किया गया, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए। हालात बेकाबू होने के बाद प्रशासन ने सेना को तैनात कर दिया और काठमांडू के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लागू कर दिया।

कर्फ्यू और हिंसा की स्थिति

जिला प्रशासन ने पहले शाम 4:25 बजे से रात 10 बजे तक कर्फ्यू लगाया था, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर इसे शनिवार सुबह 7 बजे तक बढ़ा दिया गया। सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि गोलीबारी में काठमांडू के 29 वर्षीय सबिन महराजन की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हुए।

तिनकुने क्षेत्र में एवेन्यूज टेलीविजन के फोटो पत्रकार सुरेश रजक की एक इमारत में आग लगने से मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि झड़प के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ने का प्रयास किया, जिससे हिंसा भड़क उठी।

वाहनों और संपत्तियों को किया आग के हवाले

प्रदर्शनकारियों ने 8 वाहनों को आग के हवाले कर दिया, एक घर जला दिया और कई मीडिया संस्थानों पर हमला किया।

  • बानेश्वर में सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट के कार्यालय पर हमला

  • चाबाहिल में भटभटेनी सुपरमार्केट को लूटा गया

  • कांतिपुर टेलीविजन और अन्नपूर्णा पोस्ट अखबार के कार्यालयों में तोड़फोड़

प्रशासन ने शांतिनगर पुल और मनोहरा नदी पुल के बीच कर्फ्यू लागू किया, जिसमें कोटेश्वर, तिनकुने, हवाई अड्डा क्षेत्र, बनेश्वर चौक और गौशाला शामिल हैं। हवाई यात्रा करने वालों को टिकट दिखाने पर एयरपोर्ट तक जाने की अनुमति दी गई।

राजशाही समर्थकों की मांग और विरोध

हजारों राजशाही समर्थकों ने “राजा आओ, देश बचाओ”, “भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद” और “हमें राजतंत्र वापस चाहिए” जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें और राष्ट्रीय ध्वज लेकर तिनकुने क्षेत्र में प्रदर्शन किया, जिससे पुलिस से झड़प हुई।

इस बीच, गणतंत्र समर्थक संगठनों ने भृकुटीमंडप में बड़ी रैली निकालकर “गणतंत्र व्यवस्था अमर रहे” और “राजशाही मुर्दाबाद” के नारे लगाए। इस रैली में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट सहित अन्य दल शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने बुलाई आपातकालीन बैठक

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश में बढ़ती अशांति पर चर्चा करने के लिए आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई। गृह मंत्रालय ने प्रदर्शनकारियों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को जलाने और तोड़फोड़ करने की निंदा की, और कहा कि प्रदर्शनकारी अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रहे हैं।

नेपाल में राजशाही का अंत और मौजूदा तनाव

नेपाल में 240 साल पुरानी राजशाही 2008 में समाप्त कर दी गई थी, जब संसद ने इसे धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य में बदलने का निर्णय लिया। लेकिन राजशाही समर्थक समूह लगातार इसकी बहाली की मांग कर रहे हैं।

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने हाल ही में लोकतंत्र दिवस (19 फरवरी) पर एक वीडियो संदेश जारी कर राजशाही को समर्थन देने की अपील की थी, जिसके बाद 9 मार्च को उनके समर्थन में एक रैली निकाली गई।

नेपाल में बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है और क्या राजशाही समर्थकों की मांगों को कोई राजनीतिक समर्थन मिलता है।