नीना गुप्ता का खुला नजरिया: महिलाओं की अंतरंगता, आत्मनिर्भरता और समाज की सोच पर बेबाक राय

नीना गुप्ता का खुला नजरिया: महिलाओं की अंतरंगता, आत्मनिर्भरता और समाज की सोच पर बेबाक राय
नीना गुप्ता का खुला नजरिया: महिलाओं की अंतरंगता, आत्मनिर्भरता और समाज की सोच पर बेबाक राय

नीना गुप्ता उन अदाकाराओं में से एक हैं जो न केवल अपनी अदाकारी के लिए बल्कि अपने स्पष्ट विचारों और बोलने के अंदाज के लिए भी पहचानी जाती हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने महिलाओं की अंतरंगता को लेकर समाज में व्याप्त मानसिकता पर सवाल उठाए और भारतीय महिलाओं की सोच को लेकर गहरी चिंता जाहिर की।

भारतीय महिलाओं में सेक्स को लेकर जागरूकता की कमी

लिली सिंह के साथ हुई बातचीत में नीना गुप्ता ने कहा कि भारत में अभी भी बहुत सी महिलाएं सेक्स को सिर्फ पुरुषों की खुशी और बच्चे पैदा करने का जरिया मानती हैं। उन्होंने दुख जताया कि महिलाओं को यह नहीं बताया जाता कि उनका भी इसमें आनंद लेना उतना ही जरूरी और स्वाभाविक है। नीना के शब्दों में, “भारत में 95 से 99 प्रतिशत महिलाएं यह नहीं जानतीं कि सेक्स का आनंद उठाना उनका भी अधिकार है। वे इसे सिर्फ पति को खुश करने और मां बनने के लिए देखती हैं।”

यह एक कड़वा सच है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। नीना ने कहा कि हम जैसे लोग, जो इस विषय पर खुलकर बात करते हैं, समाज में अल्पसंख्यक हैं। देश की एक बड़ी आबादी अभी भी उन रूढ़ियों में बंधी हुई है जहां महिला की इच्छा, उसकी जरूरतें और उसकी पहचान गौण मानी जाती है।

‘सेक्स’ शब्द को लेकर बेझिझक रवैया

इंटरव्यू में जब लिली सिंह ने नीना गुप्ता से यह कहा कि उन्होंने ‘सेक्स’ शब्द को बिना हिचकिचाहट के बोला, तो नीना ने मुस्कराते हुए बताया कि पहले वे भी इस शब्द को घर में धीरे से बोलती थीं, लेकिन अब नहीं। उन्होंने कहा, “अब मुझे कोई झिझक नहीं है। यह शब्द सबसे ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। मुझे लगता है कि इसकी इतनी अहमियत बना दी गई है कि लोग इसे बोलने से भी डरते हैं।”

उनका यह नजरिया साफ तौर पर बताता है कि वे अब समाज के बंधनों को तोड़ चुकी हैं और अपनी सोच को खुले तौर पर रखने से नहीं हिचकतीं।

शूटिंग के दौरान भी आत्मनिर्भरता की मिसाल

शो में लिली सिंह ने एक और दिलचस्प बात शेयर की कि नीना गुप्ता सेट पर अपने माइक खुद लगाती हैं, जबकि बाकी कलाकार ग्रीन रूम में जाकर ऐसा करते हैं। इस पर नीना ने कहा, “शुरुआत में मैं भी ग्रीन रूम में जाकर माइक लगाती थी, फिर एक कोने में पीठ मोड़कर लगाने लगी, लेकिन अब मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं बात करती रहती हूं और साथ में माइक भी लगा लेती हूं।”

यह बात नीना के आत्मविश्वास और व्यावसायिकता को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि अब उन्हें इस तरह की चीजों से झिझक महसूस नहीं होती क्योंकि उनका ध्यान अब केवल अपने काम पर होता है।

मुंबई के तकनीकी स्टाफ की प्रशंसा

नीना गुप्ता ने मुंबई के तकनीकी स्टाफ की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि यहां के लाइटमैन, साउंड टेक्नीशियन और बाकी तकनीकी कर्मचारी प्रोफेशनल होते हैं और कभी किसी को असहज महसूस नहीं कराते। “अब उन्हें भी आदत हो गई है। सभी कलाकार इसी तरह माइक लगाते हैं, कोई आपको घूरता नहीं। एक्सपीरियंस ने मुझे सिखा दिया है कि चिंता करने की जरूरत नहीं है।”

नीना गुप्ता का ये बयान न केवल उनके आत्मबल को दर्शाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री के भीतर एक सकारात्मक बदलाव आ रहा है जहां प्रोफेशनल व्यवहार को प्राथमिकता दी जा रही है।

नीना की सोच: एक प्रेरणा

नीना गुप्ता की बातें सिर्फ एक एक्ट्रेस की राय नहीं हैं, बल्कि वे समाज में एक जरूरी बदलाव की ओर इशारा करती हैं। उन्होंने दिखाया कि महिलाओं को अपनी इच्छाओं, जरूरतों और अधिकारों को लेकर बेझिझक होना चाहिए। यह जरूरी है कि समाज में सेक्स, महिला इच्छाएं और आत्मनिर्भरता जैसे विषयों पर खुलकर बात हो — तभी एक संतुलित और जागरूक समाज बन सकता है।

‘अल्पसंख्यकों को परेशान करने की मंशा’, संसद में वक्फ विधेयक को मंजूरी मिलने पर भड़के