
नींद एक ऐसा स्वाभाविक हिस्सा है, जिसे लेकर वर्षों से रिसर्च हो रही है। हालांकि वैज्ञानिक अब तक इसे पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि अच्छी सेहत के लिए पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद बेहद जरूरी है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के नींद विशेषज्ञ डॉ. राफेल पेलायो के अनुसार, नींद हमारे शरीर की प्राकृतिक सेल्फ-केयर प्रक्रिया है। वयस्कों के लिए औसतन हर रात 7 से 9 घंटे की नींद आदर्श मानी जाती है। इससे कम या ज्यादा नींद लेने से स्वास्थ्य जोखिम बढ़ सकते हैं, हालांकि हर व्यक्ति की नींद की ज़रूरत अलग-अलग हो सकती है।
नींद की मात्रा के साथ गुणवत्ता भी जरूरी
नींद की केवल मात्रा ही नहीं, उसकी गुणवत्ता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। अगर आप जागने के बाद थके हुए महसूस करते हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी नींद पर्याप्त रूप से आरामदायक नहीं रही। अच्छी नींद वह होती है जिससे उठने के बाद आप तरोताजा महसूस करें।
उम्र के अनुसार नींद की आवश्यकता
नींद की जरूरत उम्र के साथ बदलती रहती है:
- नवजात शिशुओं को लगभग 14 से 17 घंटे की नींद की जरूरत होती है।
- 26 से 64 वर्ष के वयस्कों को आमतौर पर 7 से 9 घंटे की नींद पर्याप्त होती है।
- युवा वयस्कों को थोड़ी अधिक और बुजुर्गों को थोड़ी कम नींद की आवश्यकता हो सकती है।
नींद के चरण और उनका महत्व
रातभर की नींद में हम लगभग हर 90 मिनट में अलग-अलग नींद के चरणों से गुजरते हैं।
- शुरुआती घंटों में, हम अधिक गहरी नींद या “स्लो वेव स्लीप” में रहते हैं, जो शरीर की मरम्मत और ग्रोथ हार्मोन के स्राव में मदद करती है।
- रात के दूसरे हिस्से में, हम अधिकतर समय REM (Rapid Eye Movement) नींद में रहते हैं, जो सीखने और स्मृति को मजबूत करने के लिए आवश्यक है।
उम्र और हार्मोन का नींद पर प्रभाव
बचपन में नींद गहरी होती है, जो किशोरावस्था के दौरान कम होने लगती है। इस दौरान जेंडर डिफरेंस भी सामने आते हैं।
- महिलाएं पुरुषों की तुलना में सामान्यतः थोड़ी ज्यादा नींद लेती हैं।
- गर्भावस्था, मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) और देखभाल की जिम्मेदारियां उनकी नींद को प्रभावित कर सकती हैं।
नींद की कमी के नुकसान
नींद की लगातार कमी से कई समस्याएं हो सकती हैं:
- चिड़चिड़ापन
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- मूड में बदलाव
दीर्घकालिक नींद की कमी से स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है, जैसे:
- अवसाद (डिप्रेशन)
- हृदय रोग
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी
- अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा
अगर आप पर्याप्त नींद लेने के बावजूद भी थका हुआ महसूस करते हैं, तो यह अनिद्रा या स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में स्लीप स्पेशलिस्ट या डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
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