वित्तीय वर्ष 2024-25 पूरा होने में अब केवल 2 दिन शेष हैं। 31 मार्च तक शेयर बाजार में कोई कारोबार नहीं होगा और न ही देश के वायदा बाजार में सोने-चांदी का कारोबार होगा। ऐसे में यह पता लगाने का अच्छा समय है कि इस वित्तीय वर्ष में सबसे ज्यादा कमाई करने वाला कौन बनकर उभरा है। इस मोर्चे पर कौन सफल हुआ और कौन असफल? सबसे पहले अगर सोने और चांदी के भाव की बात करें तो दोनों ने ही पैसा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दोनों ने देश के वायदा बाजार में निवेशकों को 30 प्रतिशत से अधिक रिटर्न दिया है। इन दोनों में से चांदी ने सोने से अधिक कमाई की है।
निवेशकों को 90 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान
इसके विपरीत शेयर बाजार के लिए यह साल कुछ खास नहीं रहा। खास बात यह है कि सितंबर खत्म होने से पहले सेंसेक्स 85,000 अंक और निफ्टी 26,000 अंक के पार पहुंच गया था और 27 सितंबर को दोनों सूचकांक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे। इसके बाद शेयर बाजार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। दोनों सूचकांकों में लगातार 5 महीनों तक गिरावट देखी गई और निवेशकों को 90 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। हालांकि, सौभाग्य से मार्च महीने में दोनों सूचकांकों में 5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई और चालू वित्त वर्ष में सूचकांक और निफ्टी 5 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न देने में सफल रहे हैं।
सोना कितनी महान थी?
सबसे पहले बात सोने की करें तो वित्त वर्ष 2025 में इसमें जबरदस्त कमाई होने की उम्मीद है। जानकारी के मुताबिक 28 मार्च 2024 को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने का भाव 67,701 रुपये प्रति 10 ग्राम था। वहीं, 28 मार्च 2025 को जब बाजार बंद हुआ तो सोने की कीमत गिरकर 88,806 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गई। इसका मतलब है कि सोने की कीमत में 21,105 रुपये प्रति 10 ग्राम की बढ़ोतरी हुई है। इसका मतलब यह है कि पूरे वित्त वर्ष में सोने ने निवेशकों को 31.17 फीसदी का रिटर्न दिया है। हालांकि, वित्त वर्ष 2025 के खत्म होने से कुछ दिन पहले सोने की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। 20 मार्च को यह 89,796 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। इसका मतलब है कि सोना फिलहाल 990 रुपये गिर चुका है।
चांदी की कीमतों में भारी उछाल
दूसरी ओर, चांदी की कीमतों में भी भारी वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2025 में चांदी की कीमतों में तेजी जारी है। जानकारी के अनुसार 28 मार्च 2024 को चांदी की कीमत 75,048 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो 28 मार्च 2025 को बाजार बंद होने के बाद घटकर 1,00,457 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक चांदी ने निवेशकों को 33.85 फीसदी का मुनाफा दिया है। खास बात यह है कि अक्टूबर महीने में चांदी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं। 23 अक्टूबर को कारोबारी सत्र के दौरान चांदी की कीमत गिरकर 1,04,072 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। इसका मतलब है कि चांदी अपने रिकॉर्ड स्तर से 3,615 रुपये नीचे आ चुकी है।
सेंसेक्स नहीं कर सका शानदार प्रदर्शन
वहीं दूसरी ओर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का मुख्य सूचकांक सेंसेक्स भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा सका। हालांकि, वित्त वर्ष 2025 में सेंसेक्स 2 हिस्सों में नजर आ सकता है। अप्रैल से सितंबर के दौरान सेंसेक्स ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया। 27 सितंबर को सेंसेक्स 85,978.25 अंक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। इस दौरान सेंसेक्स में 23,326.9 अंक यानी करीब 17 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। उसके बाद से दूसरी छमाही में सेंसेक्स में रिकॉर्ड ऊंचाई यानी बड़ी गिरावट देखी गई है। पिछले 6 महीनों में सेंसेक्स में अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से करीब 10 फीसदी की गिरावट देखी गई है। अगर ओवरऑल वित्त वर्ष की बात करें तो 28 मार्च 2024 को सेंसेक्स 73,651.35 अंक पर था। जो 28 मार्च को 77,414.92 अंक पर पहुंच गया। इसका मतलब है कि इस दौरान सेंसेक्स में 3,763.57 अंक यानी 5.11 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। इसका कारण यह है कि मार्च महीने में सेंसेक्स में 4,216.82 अंक या 5.76 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
निफ्टी का प्रदर्शन कैसा रहा?
दूसरी ओर, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का मुख्य सूचकांक निफ्टी भी अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रहा। इसके आंकड़े भी सेंसेक्स की तरह ही उतार-चढ़ाव से गुजरे हैं। 27 सितंबर 2024 को निफ्टी 26,178.95 अंक के रिकॉर्ड स्तर पर था। आंकड़ों पर गौर करें तो वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों में निफ्टी निवेशकों को 17.25 फीसदी या 3,852.05 अंकों का इजाफा देखने को मिला है। जबकि दूसरी छमाही में निफ्टी में लगातार महीनों तक गिरावट देखी गई और छठी छमाही में मामूली सुधार हुआ।
इसके बाद भी निफ्टी पिछले 6 महीने के अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर 2,659.6 से 10 फीसदी से ज्यादा नीचे है। अगर ओवरऑल फाइनेंशियल ईयर की बात करें तो 24 मार्च को निफ्टी 22326.90 अंक पर था, जो अब बढ़कर 23519.35 अंक पर पहुंच गया है। इसका मतलब है कि पूरे वित्त वर्ष के दौरान निफ्टी में 1,192.45 अंक या 5.34 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। अगर मार्च महीने की बात करें तो मार्च महीने में निफ्टी में 6.30 फीसदी यानी 1,394.65 अंकों की बढ़त देखने को मिली है।