गुवाहाटी, 09 जून (हि.स.)। दूरदर्शन के वरिष्ठ परामर्श संपादक अशोक श्रीवास्तव ने कहा है कि पत्रकारिता का पहला और सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य मातृभूमि के हितों की रक्षा और सेवा करना होना चाहिए। देश के लिए हर नागरिक का कर्तव्य, किसी नेता या किसी समूह की चुनौती से ज्यादा महत्वपूर्ण है। लोगों के सामने अब मुख्य चुनौती देश के सामने फर्जी नैरेटिव को हटाने की है। हाल के चुनावों में विपक्ष की सीटों में वृद्धि ने चुनाव आयोग, ईवीएम आदि को लगभग बचा लिया है। इंदिरा गांधी के दिनों में इस देश में मनमाना शासन चला था। लेकिन, भारत में अब कोई मनमानी नहीं है और न ही हो सकती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तमिलनाडु में एक हारे हुए नेता की तस्वीर एक बकरे के सिर पर लगाकर बकरी का वध किया गया। पश्चिम बंगाल में स्थानीय पार्टी को वोट नहीं देने वालों को धमकी दी गई।
उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में नवनिर्वाचित सांसद का अपमान करने वालों का समर्थन करने वाले लोकतंत्र की रक्षा की मांग कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा में किसान आंदोलन के दौरान सुरक्षा बलों के हाथों एक भी मौत नहीं हुई, जिसमें 700 मौतें होने का दुष्प्रचार किया गया था। एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे पाकिस्तान के अल्पसंख्यक की तरह भारत से भागना पड़े। जो लोग ”सीएए” प्रदर्शन के नाम पर साहिनबाग में देश विरोधी नारेबाजी को लोकतांत्रिक बताते हैं, वे अक्षम्य हैं। बीबीसी जैसी कंपनियां भारत को बदनाम कर रही हैं और भारतीय मीडिया का एक वर्ग भी ऐसे संगठनों की खबरों के आधार पर फर्जी नैरेटिव फैला रहा है। हाल ही में संपन्न हुए चुनावों के दौरान, लोगों का एक वर्ग जाति और पंथ के आधार पर देश को विभाजित करने में बहुत सफल रहा है।
अशोक श्रीवास्तव रविवार को विश्व संवाद केंद्र, असम की पहल पर गुवाहाटी के बरबारी स्थित सुदर्शनालय में देवर्षि नारद जयंती और नारद जयंती पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर असम ट्रिब्यून समाचार पत्र के कार्यकारी संपादक प्रशांत ज्योति बरुवा को वर्ष 2024 का नारद जयंती पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली दूरदर्शन के कंसल्टिंग एडिटर अशोक श्रीवास्तव ने प्रशांत ज्योति बरुवा को अंगवस्त्र, किताबें, स्मृति चिह्न, भारतमाता की छवि और नकद के साथ यह पुरस्कार प्रदान किया।
प्रशांतज्योति बरुवा ने कहा कि भारत के पहले पत्र बंगाल गजट या यूनान रोम की सभ्यता से पहले भारत में देवर्षि नारद के रूप में समाचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था थी। बरुवा ने यह भी कहा कि स्वर्गमर्त्य पाताल में स्वतंत्र रूप से घूमने वाले देवर्षि नारद वास्तव में प्रेस की स्वतंत्रता के प्रतीक हैं। असमिया भाषा को मीडिया द्वारा उस समय दर्जा दिया गया, जब भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में हड़कंप मच गया था और बंगाली भाषा की आक्रामकता का संकट था। अरुणोदय युग, आवाहन युग, इंद्रधनुष युग आदि असमिया भाषा, समाचार, साहित्य के विकास का संकेत देते हैं। जहां अंग्रेजी शासकों और मिशनरियों के हित अरुणोदय में निहित थे, वहीं माजुली के भट्टदेव गोस्वामी की असम विलासिनी पत्र भी अपने देश के लिए काम करने के लिए अंग्रेजों के कोप का शिकार हुआ था। हाल के दिनों की मुख्य चुनौती विभिन्न कारकों के बीच प्रेस की तटस्थता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना है।’
देवर्षि नारद जयंती पुरस्कार समारोह में दैनिक अग्रदूत के दिगंत गोस्वामी, असमिया प्रतिदिन की पद्मिनी हजारिका और एनडी 24 चैनल के राजू बरुवा जैसे तीन वरिष्ठ पत्रकारों को द वर्ल्ड न्यूज सेंटर की ओर से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में अशोक श्रीवास्तव का सेलेंग चादर, आरनाई और किताबें देकर स्वागत किया गया। तीन पुस्तकों जंगल सत्याग्रह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मृत्युंजय वीर, आधुनिक भारतर खनिकर (बांग्ला अनुवाद) का विमोचन भी किया गया।
इस कार्यक्रम में विश्व संबाद केंद्र असम के अध्यक्ष और लेखक डॉ. गौरांग शर्मा, उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, गुवाहाटी महानगर संघचालक गुरु प्रसाद मेधी, विश्व संवाद केंद्र के संपादक किशोर शिवम और अन्य लोग उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का संचालन नव बुजरबरुवा ने की।