
दूर्वा घास यानी मखमली दूब को अक्सर लोग सिर्फ एक सजावटी पौधे या बगीचे की शोभा मानते हैं, लेकिन आयुर्वेद के नजरिए से देखें तो यह घास गुणों की खान है। न केवल यह पर्यावरण को सुंदर बनाती है, बल्कि शरीर और मन के लिए भी कई प्रकार से लाभकारी साबित होती है। सुबह-शाम नंगे पांव दूब पर चलना और इसका रस सेवन करना कई तरह की बीमारियों से राहत दिला सकता है।
दूर्वा पर चलने से होते हैं ये फायदे
विशेषज्ञों के अनुसार, दूर्वा घास पर नियमित रूप से नंगे पांव चलने से:
- ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है
- माइग्रेन और सिरदर्द में राहत मिलती है
- तनाव (Stress) कम होता है और मानसिक शांति मिलती है
- आंखों की रोशनी बढ़ती है
- पाचन क्रिया सुधरती है और कब्ज दूर होती है
यह साधारण सी दिखने वाली घास दरअसल शरीर के लिए एक प्राकृतिक थैरेपी का काम करती है।
पेट की बीमारियों से लेकर मानसिक शांति तक में कारगर
पंजाब स्थित बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के डॉ. प्रमोद आनंद तिवारी (एमडी) बताते हैं कि दूब को आयुर्वेद में एक शक्तिशाली औषधि माना गया है। इसका रस पीने से:
- एनीमिया में लाभ होता है
- हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ता है
- पाचन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं
- मेंटल पीस मिलती है
दूब का सेवन न केवल शरीर को पोषण देता है, बल्कि मन को भी शांत करता है।
क्या-क्या पोषक तत्व मिलते हैं दूर्वा में?
डॉ. तिवारी बताते हैं कि दूर्वा में कई जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जैसे:
- कैल्शियम
- आयरन
- फॉस्फोरस
- फाइबर
- प्रोटीन
- पोटैशियम
इन तत्वों की मौजूदगी इसे एक स्वास्थ्यवर्धक पौधा बनाती है। इसके नियमित सेवन या उपयोग से हृदय स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
कैसे करें दूब का सेवन?
- ताजी दूर्वा को अच्छी तरह धोकर पीस लें और उसका रस निकालें
- सुबह खाली पेट 1-2 चम्मच दूब का रस गुनगुने पानी के साथ लें
- इसमें शहद या घी मिलाकर भी सेवन किया जा सकता है
- यह जूस इम्यूनिटी बढ़ाने, मासिक धर्म के दर्द को कम करने और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत देने में मदद करता है
दांत, मसूड़े और मुंह के घावों के लिए भी रामबाण
- मसूड़ों से खून आना, दांतों में दर्द या मुंह के छाले जैसी समस्या हो तो
दूब के रस को घी या शहद में मिलाकर लेने से राहत मिलती है - यह एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है
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