दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा, जिनके सरकारी आवास से कथित रूप से अधजली नकदी बरामद होने के बाद विवादों में घिर गए थे, का आखिरकार इलाहाबाद हाई कोर्ट में तबादला कर दिया गया है। शुक्रवार को जारी एक सरकारी अधिसूचना में उनके स्थानांतरण की जानकारी दी गई।
तबादले का निर्णय और प्रतिक्रिया
विधि मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की सलाह के बाद जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण को मंजूरी दी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 24 मार्च 2025 को उनकी इलाहाबाद हाई कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश की थी।
इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट सहित छह हाई कोर्ट के वकीलों ने CJI संजीव खन्ना और कॉलेजियम से मिलकर जस्टिस वर्मा के तबादले को रद्द करने की मांग की थी। हालांकि, यह अपील अस्वीकार कर दी गई और उनका स्थानांतरण लागू कर दिया गया।
न्यायिक कार्यों से अलग रखने का आदेश
तबादले के बावजूद, CJI संजीव खन्ना ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को न्यायिक कार्यों से अलग रखा जाए। इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी इसी तरह का आदेश दिया गया था।
होली की रात की घटना और जांच
सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम ने इस सप्ताह की शुरुआत में जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण की सिफारिश करते हुए स्पष्ट किया कि यह फैसला होली की रात उनके आधिकारिक आवास में आग और कथित रूप से नकदी बरामद होने की घटना की आंतरिक जांच से अलग लिया गया है।
यह मामला अभी भी जांच के अधीन है, और न्यायपालिका तथा विधि मंत्रालय की ओर से आगे की कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है।