दिल्ली विधानसभा चुनाव: केजरीवाल, सिसोदिया और आतिशी के सामने बड़ी चुनौती, रोचक मुकाबलों की तैयारी

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दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले ही सियासी माहौल गरमा गया है। आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस ने अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। खासकर दिल्ली की तीन सबसे चर्चित सीटों—नई दिल्ली, जंगपुरा, और कालकाजी पर मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प और कड़ा होने वाला है।

नई दिल्ली सीट: केजरीवाल बनाम वर्मा बनाम दीक्षित

नई दिल्ली सीट से चौथी बार चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सामना इस बार दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों से होगा।

  • भाजपा: साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को टिकट दिया गया है।
  • कांग्रेस: शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित मैदान में हैं।

पिछले प्रदर्शन पर एक नजर

2020 के चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने इस सीट से 21,697 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। उस समय भाजपा और कांग्रेस ने अपेक्षाकृत कमजोर उम्मीदवार उतारे थे।

  • भाजपा: सुनील कुमार यादव।
  • कांग्रेस: रोमेश सबरवाल।

मौजूदा मुकाबले की खासियत

इस बार भाजपा और कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेताओं को उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

  • प्रवेश वर्मा: भाजपा सांसद और छात्र नेता रहे वर्मा ने ‘लाडली योजना’ जैसी पहलों से हलचल मचाई है।
  • संदीप दीक्षित: अपनी मां शीला दीक्षित की छवि और सहानुभूति के सहारे चुनौती पेश कर रहे हैं।

केजरीवाल के लिए यह चुनाव 2020 जितना आसान नहीं होगा। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उपजे केजरीवाल को अब अपने ईमानदार नेतृत्व की छवि को फिर से साबित करना होगा।

जंगपुरा सीट: सिसोदिया के लिए मुश्किल मुकाबला

मनीष सिसोदिया, जो 2020 में पटपड़गंज सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं, इस बार जंगपुरा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

  • कांग्रेस: फरहाद सूरी।
  • भाजपा: सरदार तरविंदर सिंह मारवाह।

सीट का जातीय समीकरण और उम्मीदवारों की ताकत

जंगपुरा सीट पर मुस्लिम और सिख मतदाताओं की बड़ी आबादी है।

  • फरहाद सूरी: कांग्रेस नेता ताजदार बाबर के बेटे, जो निजामुद्दीन वार्ड से कई बार पार्षद चुने गए हैं।
  • तरविंदर मारवाह: तीन बार जंगपुरा से विधायक रहे और 2022 में भाजपा में शामिल हुए।

दोनों पार्टियों ने समुदाय विशेष से उम्मीदवार देकर सिसोदिया की राह मुश्किल कर दी है।

कालकाजी सीट: आतिशी बनाम अलका लांबा बनाम रमेश बिधूड़ी

आतिशी, जिन्होंने 2020 में कालकाजी सीट से 11,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी, इस बार कड़ी चुनौती का सामना कर रही हैं।

  • कांग्रेस: अलका लांबा।
  • भाजपा: रमेश बिधूड़ी।

प्रमुख उम्मीदवारों की रणनीति

  • अलका लांबा: कांग्रेस की तेज-तर्रार महिला नेता, जिन्होंने भाजपा-विरोधी वोटों में बिखराव पैदा करने का बीड़ा उठाया है।
  • रमेश बिधूड़ी: दक्षिणी दिल्ली के मजबूत नेता, जो घर-घर प्रचार में जुटे हैं।

मुकाबले का विश्लेषण

त्रिकोणीय मुकाबले में अलका लांबा यदि भाजपा-विरोधी वोटों को विभाजित करने में सफल रहीं, तो आतिशी के लिए यह चुनाव बेहद कठिन हो सकता है।

भाजपा और कांग्रेस की रणनीति

  • भाजपा: लगभग तीन दशक के सत्ता-विहीन दौर को समाप्त करने के लिए पूरे दमखम से चुनाव लड़ रही है।
  • कांग्रेस: पिछले दो चुनावों में शून्य पर सिमटी पार्टी ने दिग्गज उम्मीदवार उतारकर यह संकेत दिया है कि इस बार मुकाबला “करो या मरो” का है।

दोनों पार्टियों का उद्देश्य “आप” के तीन सबसे बड़े नेताओं—केजरीवाल, सिसोदिया, और आतिशी—को उनकी सीटों पर ही उलझाए रखना है, ताकि वे बाकी सीटों पर कम ध्यान दे सकें।