
दक्षिण कोरिया की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति यून सुक योल को पद से हटाने का फैसला सुनाया है। यह फैसला उस समय आया है जब देश पिछले चार महीनों से गहरी राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। इस अस्थिरता की शुरुआत तब हुई जब राष्ट्रपति ने अचानक मार्शल लॉ लागू कर दिया था, जिसे कुछ ही घंटे बाद हटा लिया गया था।
क्या है पूरा मामला?
राष्ट्रपति यून सुक योल ने चार महीने पहले बिना किसी स्पष्ट कारण के देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था। उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि विपक्ष सत्ता विरोधी गतिविधियों में लिप्त है और सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। उनके इस फैसले से विपक्ष ही नहीं, बल्कि खुद उनकी पार्टी के कई सांसद भी नाराज हो गए थे। इस कदम के खिलाफ नेशनल असेंबली में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
तीन महीने से अधिक समय तक चली कानूनी प्रक्रिया के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति यून सुक योल को पद से हटाने का फैसला सुनाया। अदालत ने माना कि मार्शल लॉ का फैसला असंवैधानिक था और इससे लोकतंत्र को खतरा पैदा हुआ। अब देश में अगले दो महीनों के भीतर नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
कौन हो सकता है अगला राष्ट्रपति?
रायशुमारी और सर्वेक्षणों के मुताबिक, मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ली जे-म्यांग सबसे मजबूत उम्मीदवार के रूप में उभरकर सामने आ रहे हैं। अदालत के फैसले के बाद राजधानी सियोल में पुराने शाही महल के पास बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने इस निर्णय का स्वागत करते हुए जश्न मनाया।
यह घटनाक्रम दक्षिण कोरिया के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। अगर चाहो तो मैं इसका शॉर्ट अपडेट या विश्लेषणात्मक लेख भी बना सकता हूँ।
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