तरबूज की खेती: किसानों के लिए वरदान बनी ये खेती, 90 दिन में हो रही लाखों रुपए की कमाई

Watermelon Farming:  उत्तर प्रदेश के कोशी क्षेत्र में किसान 200 एकड़ रेतीली मिट्टी पर तरबूज की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं. महज 90 दिनों में तैयार होने वाले ये तरबूज कोलकाता, यूपी और दिल्ली की मंडियों में भेजे जाते हैं, जो किसानों के लिए आर्थिक वरदान साबित हो रहा है।

कोशी में तरबूज की खेती का क्षेत्र

कोशी के पश्चिमी भाग में तरबूज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। कभी हिंसा और अशांति के लिए कुख्यात यह क्षेत्र अब तरबूज की मीठी खुशबू से महक रहा है। उत्तर प्रदेश से किसान हर साल रेतीली मिट्टी पर तरबूज उगाने के लिए यहां आते हैं। इस क्षेत्र में परिवहन सुविधाओं की कमी के बावजूद किसान कड़ी मेहनत और लगन से अपनी फसल उगाते हैं और उनकी मेहनत का फल देश भर के बाजारों तक पहुंचता है।

किसानों की कड़ी मेहनत और आय

किसान ने बताया कि क्षेत्र के 30 से अधिक किसान अपने परिवारों के साथ जनवरी से अप्रैल तक यहां आते हैं और टेंट में रहते हैं। वे 30,000 रुपये प्रति बीघा की दर से रेतीली जमीन किराए पर लेते हैं, जिसे तरबूज की खेती के लिए आदर्श माना जाता है। तरबूज की फसल मात्र 90 दिनों में तैयार हो जाती है और इसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल जाती है। खेतों में लहराते बड़े और रसीले तरबूजों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। जैसे ही फल पकने लगते हैं, कोलकाता, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से व्यापारी खेतों में पहुंच जाते हैं और सीधे तरबूज खरीद लेते हैं।

लागत और लाभ

मोहम्मद रिजवान के अनुसार एक एकड़ तरबूज की खेती में लगभग 50,000 रुपये की लागत आती है। हालांकि, इस खेती में मुनाफा बहुत ज्यादा है, यही वजह है कि वे हर साल यहां खेती करने आते हैं। एक सीजन में 2 से 2.5 लाख रुपये की आमदनी होती है। वे दिल्ली से तरबूज के बीज खरीदते हैं और उन्हें कोसी की रेतीली मिट्टी में बोते हैं। रिजवान ने बताया कि वह 8 बीघा जमीन किराए पर लेकर खेती करता है। इस खेती में काफी मेहनत और समय लगता है, लेकिन 90 दिन की मेहनत के बाद तरबूज तैयार हो जाता है और बाजार में अच्छे दाम पर बिकता है।

किसानों की कड़ी मेहनत का नतीजा

कोशी के किसान अपने परिवार के साथ मिलकर रेतीली मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए दिन-रात काम करते हैं। उनकी कड़ी मेहनत से न केवल उनका जीवन बेहतर होता है, बल्कि अन्य राज्यों के बाजारों में भी उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले तरबूज पहुंचते हैं। इस खेती ने किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है और उन्हें स्थानीय स्तर पर नई पहचान दी है।