डीएमके वक्फ बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कल लोकसभा में वक्फ विधेयक को मंजूरी दिए जाने की आलोचना की है। उन्होंने वक्फ विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है। सीएम स्टालिन ने यह भी आश्वासन दिया है कि तमिलनाडु वक्फ विधेयक पर मजबूती से लड़ेगा और सफलता हासिल करेगा।
मुख्यमंत्री ने तमिलनाडु विधानसभा में कहा, ‘‘हम वक्फ विधेयक की आलोचना करते हैं।’’ तमिलनाडु इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय में लड़ेगा और इस लड़ाई में सफल होगा। डीएमके विधायकों ने विधानसभा में बैनर और तख्तियां बांधकर लोकसभा में विधेयक को मंजूरी दिए जाने के विरोध में अपना गुस्सा जाहिर किया।
यह विधेयक धार्मिक सद्भाव को कमजोर करेगा
मुख्यमंत्री स्टालिन ने सदन को याद दिलाया कि 27 मार्च को तमिलनाडु विधानसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया गया था। इसमें कहा गया कि यह विधेयक धार्मिक सद्भाव को कमजोर करता है। और इससे अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत भर में अधिकांश राजनीतिक दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है। फिर भी, इसे लोकसभा में मंजूरी दे दी गई। यह अत्यंत निंदनीय है। यद्यपि लोकसभा में इसे मंजूरी मिल गई, लेकिन इसके विरोध में भी बड़ी संख्या में वोट पड़े, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि लोकसभा में कुल 288 सांसदों ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को मंजूरी दी है, जबकि 232 सांसदों ने इसका विरोध किया। इन आंकड़ों पर विचार करते हुए स्टालिन ने कहा कि विपक्ष और अधिक मजबूत हो सकता था। यह कानून पूरी तरह से वापस ले लिया जाएगा। विधेयक को मंजूरी देने के समय और तरीके की भी आलोचना की गई है।
विधेयक को मंजूरी देने का समय और तरीका गलत है।
स्टालिन ने कहा कि देश के अधिकांश राजनीतिक दलों के विरोध को नजरअंदाज करते हुए देर रात दो बजे इस संवेदनशील कानून को पेश करने और मंजूरी देने का तरीका गलत है। यह संविधान पर सीधा हमला है। और यह सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का भी प्रयास है। हम इस विधेयक को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे तथा इसके खिलाफ कानूनी और राजनीतिक लड़ाई जारी रखेंगे।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को 12 अप्रैल को लंबी बहस के बाद लोकसभा में मंजूरी मिल गई है। विपक्ष ने इसे मुस्लिम विरोधी और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के लिए हानिकारक बताया है। जबकि सरकार ने इसे अल्पसंख्यकों के लिए कल्याणकारी बताया है।