
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को एक बड़ा आर्थिक कदम उठाते हुए दुनिया भर के 184 देशों पर व्यापक टैरिफ लगाने की घोषणा की। इस नीति के तहत भारत पर 26 प्रतिशत, जबकि चीन और अन्य देशों पर इससे भी अधिक आयात शुल्क लगाया गया है। अधिकांश देशों को 10 प्रतिशत के बेसलाइन टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
हालांकि, इस सूची से रूस, क्यूबा, बेलारूस और उत्तर कोरिया जैसे कुछ देश बाहर रखे गए हैं, जिससे कई सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या रूस से रिश्ते निभा रहे हैं ट्रंप?
‘टैरिफ लिस्ट’ जारी होते ही रूस की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बन गई। व्हाइट हाउस को इस पर सफाई देनी पड़ी।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बयान दिया कि रूस पहले से ही कड़े अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में है, जो दोनों देशों के बीच व्यावसायिक संबंधों को लगभग समाप्त कर चुके हैं। उनके अनुसार, रूस पर पहले से लगाए गए प्रतिबंध किसी भी नए टैरिफ की आवश्यकता को खत्म कर देते हैं।
हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया कि रूस को भविष्य में और सख्त प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में रूस को तेल पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने की चेतावनी भी दी थी और यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई को लेकर नाराजगी जताई थी।
रूस-अमेरिका व्यापार संबंधों की वर्तमान स्थिति
यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका ने रूस पर व्यापक आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इसका असर दोनों देशों के व्यापार पर पड़ा है।
- वर्ष 2021 में अमेरिका और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 35 अरब डॉलर का था।
- 2023 तक यह घटकर सिर्फ 3.5 अरब डॉलर रह गया।
हालांकि, यह अभी भी कुछ छोटे देशों जैसे मॉरीशस या ब्रुनेई से अधिक है, जिन्हें ट्रंप की टैरिफ सूची में शामिल किया गया है।
किन देशों को टैरिफ से छूट मिली?
रूस के अलावा, निम्न देशों को भी टैरिफ सूची से बाहर रखा गया है:
- क्यूबा
- बेलारूस
- उत्तर कोरिया
इन देशों पर पहले से ही प्रभावी आर्थिक प्रतिबंध लागू हैं। इसलिए ट्रंप प्रशासन ने इन्हें अतिरिक्त टैरिफ से बाहर रखने का निर्णय लिया।
वहीं, कनाडा और मैक्सिको को भी इस नई सूची में शामिल नहीं किया गया है। व्हाइट हाउस के अनुसार, इन दोनों देशों पर पहले ही 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जा चुका है।
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