
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित जवाबी टैरिफ नीति की दुनियाभर में चर्चा हो रही है। ट्रंप ने 60 से अधिक देशों पर टैरिफ लगाने की योजना का ऐलान किया है, जिसका असर वैश्विक बाजारों पर साफ दिखने लगा है। इस फैसले के चलते भारत समेत कई देशों के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई है। जानकारों का मानना है कि अगर यह नीति लागू होती है, तो इससे वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ सकता है।
जब टैरिफ पहुंचा पेंग्विनों के द्वीप तक
इस नीति की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अमेरिका ने टैरिफ की सूची में ऐसे द्वीपों को भी शामिल कर दिया जहां इंसान रहते ही नहीं हैं।
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हर्ड और मैकडॉनल्ड आईलैंड पर अमेरिका ने 10% टैरिफ लगा दिया है।
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ये द्वीप ऑस्ट्रेलिया के सात बाहरी क्षेत्रों में शामिल हैं और करीब 4100 किमी दूर पर्थ तथा 1600 किमी दूर अंटार्कटिक तट से स्थित हैं।
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यह क्षेत्र बर्फ से ढका, निर्जन और केवल पेंग्विन, सील और समुद्री पक्षियों का घर है।
यह फैसला इतना असामान्य था कि विशेषज्ञ भी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वहां से अमेरिका को आखिर कौन-सा आयात हो सकता है।
और भी अजीब नाम शामिल
ट्रंप प्रशासन की टैरिफ सूची में केवल हर्ड और मैकडॉनल्ड आईलैंड ही नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलिया के तीन अन्य बाहरी क्षेत्र भी शामिल हैं:
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कोकोस (कीलिंग) आईलैंड
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क्रिसमस आईलैंड
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नॉरफॉक आईलैंड
सबसे ज्यादा आश्चर्य नॉरफॉक आईलैंड को लेकर हुआ है, जहां 29% टैरिफ लगाया गया है – जो कि ऑस्ट्रेलिया के अन्य हिस्सों की तुलना में 19 प्रतिशत अधिक है।
यह द्वीप सिडनी से करीब 1600 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है और यहां केवल 2,000 लोग रहते हैं।
“हम कुछ भी निर्यात नहीं करते” – नॉरफॉक के प्रशासक
नॉरफॉक आईलैंड के प्रशासक और ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधि जॉर्ज प्लांट ने बताया: “मेरी जानकारी में, हम अमेरिका को कुछ भी निर्यात नहीं करते। हमारी ओर से किसी चीज पर कोई टैरिफ नहीं है, फिर भी हमें अमेरिका की इस नीति में शामिल किया गया है। हम पूरी तरह से हैरान हैं।”
ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र पर भी टैरिफ
ट्रंप प्रशासन ने ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) पर भी 10% टैरिफ लगाया है, जिसमें चागोस द्वीप समूह शामिल है।
इस क्षेत्र का सबसे बड़ा द्वीप डिएगो गार्सिया है, जहां संयुक्त अमेरिकी-ब्रिटिश सैन्य अड्डा स्थित है। इस फैसले को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि यह क्षेत्र सैन्य महत्व रखता है और वहां से आम नागरिक व्यापार बहुत ही सीमित है।
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