ट्रंप का टैरिफ पर यू-टर्न: स्मार्टफोन, चिप्स और लैपटॉप को मिली राहत, टेक कंपनियों को राहत

ट्रंप का टैरिफ पर यू-टर्न: स्मार्टफोन, चिप्स और लैपटॉप को मिली राहत, टेक कंपनियों को राहत
ट्रंप का टैरिफ पर यू-टर्न: स्मार्टफोन, चिप्स और लैपटॉप को मिली राहत, टेक कंपनियों को राहत

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए गए आयात शुल्क को लेकर एक और यू-टर्न लिया है। ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की है कि स्मार्टफोन, लैपटॉप, सेमीकंडक्टर चिप्स और अन्य कई इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद अब जवाबी शुल्क से बाहर रहेंगे। इन उत्पादों में से अधिकांश का आयात चीन से किया जाता है।

यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, इन उत्पादों पर न तो चीन पर लगाए गए 145 प्रतिशत टैरिफ लागू होंगे और न ही अन्य देशों पर निर्धारित 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ।

टेक कंपनियों को मिलेगा सीधा फायदा

यह छूट 5 अप्रैल से पहले अमेरिका पहुंच चुके या गोदामों से बाहर निकाले जा चुके उत्पादों पर लागू होगी। इससे एप्पल, सैमसंग और एनवीडिया जैसी वैश्विक टेक कंपनियों को राहत मिलेगी, जो पहले इन भारी शुल्कों को लेकर चिंता जता चुकी थीं। विशेषज्ञों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि टैरिफ बढ़ने से उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतों में तेज वृद्धि हो सकती है।

हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने इस छूट के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है।

आईफोन का अधिकांश निर्माण चीन में

एक अमेरिकी एजेंसी के मुताबिक, एप्पल के लगभग 80 प्रतिशत आईफोन चीन में बनाए जाते हैं जबकि शेष 20 प्रतिशत भारत में असेंबल होते हैं। नए आदेश के तहत सिर्फ स्मार्टफोन ही नहीं, बल्कि डिस्क ड्राइव, डेटा प्रोसेसिंग यूनिट, सेमीकंडक्टर डिवाइसेज, मेमोरी चिप्स, टेलीकॉम इक्विपमेंट, चिपमेकिंग मशीनरी, फ्लैट पैनल डिस्प्ले और प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली जैसे उत्पाद भी टैरिफ से छूट के दायरे में आएंगे।

इनमें से कई उत्पाद अमेरिका में या तो बिल्कुल नहीं बनते या फिर बहुत सीमित मात्रा में बनते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन वस्तुओं का घरेलू स्तर पर निर्माण शुरू करने में अमेरिका को वर्षों लग सकते हैं।

ट्रंप का अचानक निर्णय परिवर्तन

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में व्यापार असंतुलन का हवाला देते हुए चीन सहित कई देशों पर बड़े पैमाने पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। 9 अप्रैल को यह शुल्क लागू किया गया, लेकिन इसके केवल 13 घंटे बाद ही उन्होंने अधिकांश देशों के लिए 90 दिनों के लिए शुल्क निलंबित कर दिया, हालांकि चीन पर भारी शुल्क बनाए रखा गया।

इस यू-टर्न की वजह माना जा रहा है वैश्विक स्तर पर हुई आलोचना और वित्तीय बाजारों की प्रतिक्रिया। ट्रंप की घोषणा के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली थी और निवेशकों में यह आशंका बढ़ गई थी कि अमेरिका और अन्य अर्थव्यवस्थाएं मंदी की ओर बढ़ सकती हैं।

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