
शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि अब शुरू हो चुका है। इस दौरान देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, इस कारण नवरात्रि के अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कई लोग अष्टमी तिथि पर, तो कुछ नवमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं, जिससे अक्सर यह भ्रम उत्पन्न हो जाता है कि कन्या पूजन के लिए कौन सा दिन सबसे उत्तम है।
कन्या पूजन का महत्व और शास्त्रों में वर्णन
शास्त्रों के अनुसार, चैत्र नवरात्रि में कन्याओं की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसमें एक से दस वर्ष तक की कन्याओं का पूजन किया जाता है। हर उम्र की कन्या का पूजन अलग-अलग फल देता है और प्रत्येक उम्र के अनुरूप उनका पूजा विधि निर्धारित की गई है। इसे देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, कन्या पूजन के लिए अष्टमी और नवमी तिथि दो विशेष दिन माने गए हैं।
कन्या पूजन का सबसे शुभ दिन
नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन के लिए अष्टमी और नवमी तिथियों को सबसे उत्तम माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि बिना कन्या पूजन के नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है। इस साल, अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन यानी 6 अप्रैल को पड़ रही हैं, जिससे कन्या पूजन के लिए यह दिन विशेष रूप से उत्तम रहेगा।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कन्या पूजन के लिए सबसे शुभ समय सुबह 7:54 बजे से लेकर 10:30 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, दोपहर 12:11 बजे से 12:56 बजे तक भी कन्या पूजन किया जा सकता है। यह समय विशेष रूप से पूजन के लिए अनुकूल माना जाता है।
कन्या पूजन की विधि
कन्या पूजन करते समय यह सुनिश्चित करें कि देवी स्वरूप कन्याओं की विधिपूर्वक पूजा की जाए। उन्हें भोग में हलवा, पूरी और दही अवश्य अर्पित करें, क्योंकि यह विशेष रूप से देवी दुर्गा को प्रिय माना जाता है। पूजा के बाद, कन्याओं को उपहार या दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। ऐसा करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और साधक को विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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