
अमेरिका में लगभग 3.55 करोड़ लोग क्रॉनिक किडनी डिजीज यानी दीर्घकालिक गुर्दा रोग से प्रभावित हैं। यह एक गंभीर लेकिन अक्सर अनदेखी रह जाने वाली बीमारी है। हैरानी की बात यह है कि सिर्फ 50 प्रतिशत मामलों में ही इसका समय रहते पता चल पाता है। यह रोग धीरे-धीरे शरीर को कमजोर करता है और जब तक लक्षण सामने आते हैं, तब तक स्थिति काफी बिगड़ चुकी होती है।
किडनी की भूमिका और इसके काम बंद होने पर असर
किडनी शरीर के ज़रूरी अंगों में से एक है, जो रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को छानकर उन्हें पेशाब के माध्यम से बाहर निकालती है। इसके साथ ही यह रक्तचाप को नियंत्रित करने, इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने और लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में भी मदद करती है।
अगर किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर दे, तो शरीर में पानी और विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं। इससे इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे पोटेशियम और फॉस्फेट का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है, जिससे जीवन के लिए संकट खड़ा हो सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ है सबसे बड़ा खतरा
इस बीमारी के सबसे बड़े जोखिम कारकों में हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह शामिल हैं। अमेरिका में मधुमेह के करीब 40 प्रतिशत और उच्च रक्तचाप के लगभग 30 प्रतिशत मरीजों में यह बीमारी विकसित होती है। चिंता की बात यह है कि शुरुआत में इसके लक्षण बहुत हल्के या फिर बिल्कुल नजर नहीं आते।
डायग्नोसिस में देरी बन सकती है जानलेवा
नर्सिंग की सहायक प्रोफेसर और जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ एलेनोर रिवेरा के मुताबिक, अधिकतर मरीजों को यह पता ही नहीं चलता कि वे किडनी की बीमारी के शुरुआती चरण में हैं। उनका रिसर्च बताता है कि डॉक्टरों द्वारा समय पर सही जानकारी न दिए जाने के कारण स्थिति और खराब हो जाती है।
लक्षण जिन्हें नजरअंदाज न करें
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सुबह उठते ही थकान या कमजोरी महसूस होना
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पेशाब का रंग असामान्य, बहुत गहरा या झागदार होना
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बार-बार पेशाब आना या बहुत कम आना
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अधिक प्यास लगना
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सुबह पेट में ऐंठन
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शरीर में बार-बार इंफेक्शन होना
ये सभी संकेत इस बात की ओर इशारा कर सकते हैं कि किडनी ठीक से काम नहीं कर रही।
इलाज और देखभाल
जब किडनी पूरी तरह काम करना बंद कर देती है, तब डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट ही अंतिम विकल्प होते हैं। डायलिसिस एक बोझिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है, जिसमें सप्ताह में कई बार घंटों तक मशीन की मदद से शरीर से अपशिष्ट निकाले जाते हैं। यह इलाज मरीज की दिनचर्या, जीवनशैली और मानसिक स्थिति को काफी प्रभावित करता है।
बचाव के उपाय
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नियमित जांच कराएं: विशेषकर यदि आप मधुमेह या उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं
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स्वस्थ आहार लें: कम नमक, कम शुगर और संतुलित पोषण
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नियमित व्यायाम करें: शरीर को सक्रिय रखें
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दवाएं समय पर लें: डॉक्टर की सलाह के अनुसार
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समय पर डॉक्टर से परामर्श लें: लक्षण दिखने पर विलंब न करें
रिसर्च यह भी बताता है कि अश्वेत, महिलाएं, निम्न आय वर्ग के लोग और कम शिक्षित व्यक्ति इस बीमारी से अधिक प्रभावित होते हैं। ऐसे में जागरूकता और समय पर हस्तक्षेप ही सबसे बड़ा उपाय है।