कैसे पहचानें फर्जी मोबाइल ऐप्स, ताकि न हो साइबर ठगी का शिकार

कैसे पहचानें फर्जी मोबाइल ऐप्स, ताकि न हो साइबर ठगी का शिकार
कैसे पहचानें फर्जी मोबाइल ऐप्स, ताकि न हो साइबर ठगी का शिकार

डिजिटल युग में स्मार्टफोन ने हमारे कई काम आसान कर दिए हैं, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं। साइबर अपराधी अब मोबाइल ऐप्स के जरिए लोगों को निशाना बना रहे हैं। खासतौर पर एंड्रॉयड यूजर्स ऐसे फर्जी थर्ड पार्टी ऐप्स का शिकार हो रहे हैं, जो असली ऐप्स की तरह दिखते हैं लेकिन उनमें मैलवेयर भरा होता है।

ये ऐप्स यूजर्स को झांसे में लेकर उनके बैंकिंग विवरण, पर्सनल डेटा, क्रेडिट कार्ड जानकारी और आधार जैसी संवेदनशील जानकारियां चुरा सकते हैं। एक बार यदि ऐसा फर्जी ऐप फोन में इंस्टॉल हो जाए, तो न सिर्फ आर्थिक नुकसान हो सकता है, बल्कि आपकी गोपनीय जानकारी भी गलत हाथों में जा सकती है।

राष्ट्रीय साइबर थ्रेट विश्लेषण यूनिट (NCTAU) की रिपोर्ट के अनुसार:

  • ये ऐप्स कॉल और मैसेज को इंटरसेप्ट कर सकते हैं।

  • यूजर का पैन नंबर, आधार डिटेल्स, और बैंकिंग क्रेडेंशियल्स चुराए जा सकते हैं।

  • कुछ ऐप्स SMS डेटा एक्सेस कर ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारियों को भी चुरा सकते हैं।

कैसे करें फर्जी ऐप्स की पहचान?

1. ऐप का नाम और आइकन ध्यान से जांचें
फर्जी ऐप्स असली ऐप्स की नकल करते हैं, लेकिन उनके नाम या लोगो में अक्सर स्पेलिंग मिस्टेक या छोटा बदलाव होता है।

2. डेवलपर का नाम जांचें
असली ऐप्स अक्सर किसी जानी-मानी कंपनी (जैसे Google LLC, WhatsApp Inc.) द्वारा बनाए जाते हैं। अनजान डेवलपर्स के ऐप्स से सावधान रहें।

3. यूजर रिव्यू और रेटिंग पढ़ें
फर्जी ऐप्स पर अक्सर नकारात्मक रिव्यू होते हैं। अगर किसी ऐप के रिव्यू में “scam”, “fake”, “don’t download” जैसे शब्द दिखाई दें, तो उस ऐप से दूर रहें।

4. ऐप का साइज और इंटरफेस देखें
अगर किसी ऐप का साइज सामान्य से काफी कम है या उसका इंटरफेस बेहद साधारण और अव्यवस्थित है, तो उसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठना चाहिए।

क्या सावधानियां बरतें?