अगर आप कुल्लू-मनाली की भीड़-भाड़ से दूर किसी अनोखी जगह की तलाश में हैं, तो करसोग आपके लिए एकदम सही जगह है। हिमाचल प्रदेश की शांत घाटियों में बसा करसोग आपको लुभावनी प्राकृतिक सुंदरता, प्राचीन मंदिर और रोमांचकारी एडवेंचर स्पॉट प्रदान करता है – और यह सब पर्यटकों की भीड़-भाड़ के बिना!
करसोग क्यों जाएँ?
मंडी से 125 किमी और शिमला से 100 किमी दूर स्थित करसोग प्रकृति प्रेमियों और शांति चाहने वालों के लिए स्वर्ग है। हरे-भरे हरियाली और अछूते परिदृश्यों से घिरा यह छिपा हुआ रत्न गर्मियों में ताज़गी भरी छुट्टियों के लिए एकदम सही है।
रहस्यमय मंदिर और किंवदंतियाँ
करसोग को अक्सर अपनी समृद्ध आध्यात्मिक विरासत के कारण “मंदिरों का शहर” कहा जाता है। कुछ ऐसे मंदिर हैं जिन्हें अवश्य देखना चाहिए:
- कमरुनाग मंदिर और शिखरी देवी मंदिर – प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे ये मंदिर शांतिपूर्ण विश्राम प्रदान करते हैं।
- ममलेश्वर मंदिर – पांडवों से जुड़ा एक स्थल, जिसमें पांच प्राचीन शिवलिंग और एक ढोल है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह भीम का था।
- कामाक्षा देवी और माहुनाग मंदिर – अपने ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध।
साहसिक कार्य एवं ट्रैकिंग
रोमांच के शौकीनों के लिए, कामरू नाग ट्रेक एक बेहतरीन विकल्प है। रोहांडा (करसोग से 22 किमी) से शुरू होने वाला यह ट्रेक बर्फ से ढकी चोटियों और प्राचीन परिदृश्यों के मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है।
करसोग कैसे पहुंचें
- दिल्ली से कालका तक रेलगाड़ी लें , फिर बस या टैक्सी से आगे बढ़ें।
- वैकल्पिक रूप से, दिल्ली से बस द्वारा मंडी पहुंचें और वहां से करसोग के लिए दूसरी बस लें।
यदि आप सामान्य पर्यटक स्थलों से परे हिमाचल की सुंदरता को देखना चाहते हैं, तो करसोग तनाव दूर करने और तरोताजा होने के लिए आदर्श स्थान है!